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चौरसियावास तालाब में हो रहा अतिक्रमण, जिम्मेदारों ने मूंदी आखें

पहले मलवा डाला व अब जमीन समतल कर निर्माण की तैयारी

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ajmer

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अजमेर. शहर अतिक्रमियों से न तो एडीए की भूमि सुरक्षित नजर आ रही है ना नगर निगम की। अतिक्रम की हद तो यह हो गई है अतिक्रमी शहर की प्रमुख सड़कों पर कब्जा कर उनका गलाघोंट रहें है। नदी ,तालाब व नाड़ी भी सुरक्षित नहीं है। शहर एतिहासिक 252 साल पुराने चौरसियावास तालाब इन दिनों अतिक्रमियों के निशाने पर है। पहले तालाब के क्षेत्र में आबाद बस गई अब तालाब के किनारे माकड़वाली रोड कब्जा कर इसे बाजार के रूप परिवर्तित कर रहे हैं। अतिक्रमण हटाने के लिए जिम्मेदार अजमेर विकास प्राधिकरण के अफसर आंखे मूदें बैठे हैं। तालाब में पहले मलवा, बिल्डिंग वेस्ट व कूड़ा कचरा डाला जा रहा है इसके बाद इसे समतल कर दुकानें व शोरूम खोल जा रहे है। स्टीफन तिराहे के आगे सिटी बस स्टेंड के पास इन दिनों मलवा डालकर तालाब को कब्जा करने का काम धड़ल्ले से चल रहा है। यहां नगर निगम ने कचरा डिपो भी बनाया था लेकिन उसे तोड़ दिया गया है।

पूर्व में तोड़ा था अतिक्रण

तालाब में वर्तमान में जहां मलवा डालकर कब्जा किया जा रहा है वहां पूर्व में हुए अवैध निर्माण तथा बाउंड्रीवाल को प्राधिकरण ने राजस्थान पत्रिका में मामला उजागर होने के बाद तोड़ दिया था अब दोबारा कब्जा किया जा रहा है।

जितना चाहो उतना करो कब्जा

चौरसियावास तालाब अजमेर विकास प्राधिकरण की पृथ्वीराज नगर योजना का भाग है। कई खातेदारा मुआवजा लेने के बाद भी अवैध रूप से खेती कर रहे है। इसके अलावा वृंदावन स्कूल के पास से माकड़वाली रोड से लेकर पृथ्वीराज नगर के प्रवेशद्वार तक लोग अंधाधुध कब्जा करने में जुटे हैं। तालाब के किनारे होटल रेस्टोरेंट, गैराज, गोदाम, पत्थर व लोहा कारोबार कच्चे पक्के मकान बना लिए गए है। यह लगातार पीछे तालाब की तरफ बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में तालाब के अस्तित्व पर ही संकट नजर आ रहा है। तालाब लगातार सिकुड़ता जा रहा है।

तालाब में सड़क व मकान बनाए

चौरसियावास तालाब में माकड़वाली रोड पर जहां बाजार खुल गया है वहीं चौरसियावास गांव की तरफ इसमें मलवा डालकर सड़क भी बना ली गई है। यहां तालाब में मकान भी बनाया लिया गया। बिजली का कनेक्शन भी लिया गया है। यहा अतिक्रमी को बेदखल करने के लिए प्राधिकरण पूर्व में आदेश भी जारी कर चुका लेकिन दो साल बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका। यह तालाब 252 वर्ष पुराना है। ब्रिटिश काल में इसका इस्तेमाल पेयजल व सिंचाई के लिए होता था। तालाब 1.5 हजार बीघा में फैला हुआ है।

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