महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालयय से करीब 290 कॉलेज सम्बद्ध हैं। इनमें अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक और नागौर जिले के सरकारी एवं निजी स्नातक और स्नातकोत्तर कॉलेज शामिल हैं। इस बार विश्वविद्यालय ने 3.30 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों की परीक्षा करा रहा है। अगले साल यह संख्या बढकऱ 3.50 लाख तक पहुंचने के आसार हैं।
दावे होते हैं लंबे चौड़े
विश्वविद्यालय परीक्षा फार्म अगस्त-सितंबर में भरवाने के दावे हर साल करता है। लेकिन कार्यक्रम बनाने, निविदा निकालने, फर्म निर्धारण में ही अधिकारी विलंब कर देते हैं। ऐसे में फार्म अक्टूबर अंत या नवंबर से पहले भरने शुरू नहीं होते हैं। साल 2011 में तो विश्वविद्यालय तो सबसे ज्यादा लेटलतीफ रहा था। तब दिसंबर अंत में फार्म भरवाने शुरू किए गए थे। केवल साल 2016 में विश्वविद्यालय ने 15 सितम्बर से परीक्षा फार्म भरवाने शुरू किए थे।
विश्वविद्यालय परीक्षा फार्म अगस्त-सितंबर में भरवाने के दावे हर साल करता है। लेकिन कार्यक्रम बनाने, निविदा निकालने, फर्म निर्धारण में ही अधिकारी विलंब कर देते हैं। ऐसे में फार्म अक्टूबर अंत या नवंबर से पहले भरने शुरू नहीं होते हैं। साल 2011 में तो विश्वविद्यालय तो सबसे ज्यादा लेटलतीफ रहा था। तब दिसंबर अंत में फार्म भरवाने शुरू किए गए थे। केवल साल 2016 में विश्वविद्यालय ने 15 सितम्बर से परीक्षा फार्म भरवाने शुरू किए थे।
कुलपति नहीं होने से रफ्तार ठप कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज करने पर आठ महीने से हाईकोर्ट की रोक कायम है। इससे विश्वविद्यालय में कामकाज की रफ्तार पर असर पड़ा है। हालांकि परीक्षात्मक और अन्य कार्यों के लिए डीन कमेटी को अधिकार दिए गए हैं। लेकिन कुलपति की तरह सभी फैसले लेने में कमेटी सक्षम नहीं है। 30 जुलाई में बॉम सदस्य प्रो. शिवदयाल सिंह का बतौर डीन कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। इस दौरान कुलपति के मामले का फैसला नहीं हुआ तो विश्वविद्यालय में अहम कार्य नहीं हो सकेंगे।