
Godavan occurring in the state does not harm the grasshopper crops
विलुप्त श्रेणी में शुमार गोडावण को बचाने के लिए राज्य सरकार ‘कुछ’ प्रयास में जुटी है। गोडावण के प्रजनन के लिए हैचरी (अंडे सेने वाले स्थान) विकसित किए जाएंगे। इसमें गोडावण के कृत्रिम प्रजनन के प्रयास किए जाएंगे।
वन्य क्षेत्र और वन संपदा में लगातार कमी से पशु-पक्षियों पर खासा असर पड़ा है। गोडावण भी इनमें शामिल है। अजमेर जिले में सोकलिया, अरवड़, भिनाय, गोयला, रामसर, मांगलियावास और केकड़ी इसका पसंदीदा क्षेत्र रहा है। राज्य पक्षी गोडावण इन्हीं इलाकों के हरे घास के मैदान, झाडिय़ों युक्त ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र में दिखता रहा है, लेकिन अब यह विलुप्त होती प्रजातियों में शामिल है।
सर्वेक्षण में स्थिति चिंताजनक
भारतीय वन्य जीव संस्थान सहित कई विश्वविद्यालयों-संस्थाओं ने सोकलिया, गोयला, रामसर और आस-पास के क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया है। पूरी दुनिया में महज 200 गोडावण बचे हैं। इनमें से राजस्थान में सर्वाधिक हैं। इसको बचाने के प्रयास नाकाफी हैं। संस्थानों द्वारा देश के विभिन्न प्रांतों में किए गए सर्वेक्षण में भी स्थिति गंभीर पाई गई है। अजमेर-शोकलिया-भिनाय क्षेत्र में झाडिय़ों और घास के मैदान गोडावण के लिए अहम हैं।
सरकार करेगी संरक्षण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में गोडावण संरक्षण की घोषणा की है। इसके तहत अजमेर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में गोडावण के लिए हैचरी (अंडे सेने वाले स्थान) विकसित किए जाएंगे। मालूम हो कि अजमेर जिले में पिछले 5 वर्ष की वन्य जीव गणना में एक भी गोडावण नहीं मिला है। श्रीगंनागर-हनुमानगढ़ जिले में कुछ गोडावण जरूर देखे गए हैं।
Published on:
11 Jul 2019 01:49 pm
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