
law college ajmer
प्रदेश के लॉ कॉलेज (law college ajmer) की मान्यता का मामला राजस्थान विधानसभा (rajasthan state assembly) में गूंज चुका है। फिर भी कॉलेज बदहाल है। यहां सत्र के ढाई महीने बाद भी प्रथम वर्ष एडमिशन का अता-पता नहीं है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की टीम दौरा करेगी या नहीं इस पर भी असमंजस है।
जुलाई में विधायक वासुदेव देवनानी (vasudev devnani) ने कॉलेज की स्थाई मान्यता और प्रथम वर्ष में प्रवेश नहीं होने का मामला उठाया था। देवनानी ने कहा कि विधानसभा (assembly) की प्रक्रिया नियम 295 के तहत अजमेर सहित अन्य लॉ कॉलेज की मान्यता का मामला उठआते हुए कहा कि प्रतिवर्ष कॉलेज को विश्वविद्यालय से निरीक्षण (inspection) के बाद अस्थाई सम्बद्धता (affilliation) दी जाती है। इसके आधार पर बार कौंसिल ऑफ इंडिया (bar council of india) प्रथम वर्ष (first year) में प्रवेश की अनुमति देती है।
देरी से मिलते हैं दाखिले
बीसीआई की अनुमति के बाद प्रतिवर्ष नवंबर-दिसंबर तक विद्यार्थियों को दाखिले (late admission) मिल पाते हैं। सत्र में देरी के चलते शैक्षिक कार्य (academic work) भी प्रभावित होता है। तत्कालीन भाजपा सरकार ने लॉ कॉलेज में शिक्षकों के पदस्थापन किए थे। छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों के स्वीकृत पदों (teachers post) की संख्या कम है।
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ना संसाधन ना पद
कॉलेज में पद (new posts) सृजित किए जाने चाहिए। कॉलेज में स्थाई प्राचार्य, पुस्तकालयाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षक के पद रिक्त (post vacant) है। चारदीवारी निर्माण, सेमिनार हॉल नहीं होने से कॉलेज बीसीआई के नियमों को पूरा नहीं कर पा रहा है। इसके बावजूद सरकार (state govt) , राजभवन (raj bhawan)और बीसीआई तमाशबीन बने हुए हैं।
Published on:
16 Sept 2019 09:14 am
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