
Qrcode of plants
पेड़-पौधों की प्रकृति, नाम, पुष्प और फल उत्पादन सहित खास जानकारियों के लिए आपको किताबें पढऩे की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसी तमाम सूचनाएं आपको पलक झपकते ही मिल जाएगी। यह नवाचार महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय शुरू करने वाला है। परिसर में मौजूद सभी पेड़-पौधों पर जल्द क्यूआर कोड लगाया जाएगा। इससे ना केवल प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा होगी बल्कि वनस्पतियों का डिजिटल डाटा भी तैयार होगा। ऐसा करने वाली यह राज्य की पहली यूनिवर्सिटी होगी।
वर्ष 1987 में गठित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का कायड़ रोड पर भव्य परिसर है। यहां विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधे लगे हैं। इनमें नीम, पीपल, अमलताश, रुद्राक्ष, अशोक, गुलमोहर, बरगद सहित विभिन्न प्रकार पेड़-पौधे शामिल हैं। यहां कुलपति निवास के पिछवाड़े बॉटनीकल गार्डन भी बनाया गया है। इसमें औषधीय महत्व के पौधे लगे हुए हैं। शहर में मेयो कॉलेज के बाद विश्वविद्यालय परिसर में ही इतने पेड़-पौधे देखे जा सकते हैं। इन पौधों के संरक्षण और सार-संभाल के लिए बॉटनी विभाग ने एक नवाचार का फैसला किया है।
बनेगा पेड़-पौधों का क्यूआर कोड
प्रस्तावित योजना के तहत परिसर में मौजूद प्रत्येक छोटे-बड़े पेड़-पौधों का क्यूआर कोड तैयार किया जाएगा। क्यूआर कोड में पेड़-पौधों की प्रजाति, बॉटनीकल नाम, फूल खिलने, मौसम, औषधीय अथवा अन्य उपयोग, फल आने के बारे में जानकारी छुपी होगी। स्मार्ट फोन से क्यूआर कोड को स्कैन करते ही संबंधित पेड़ अथवा पौधे की जानकारी मिल सकेगी। इसके अलावा पुराने और नए पेड़ों की उम्र भी मालूम हो सकेगी।
प्रस्ताव तैयार, कुलपति का इंतजार
बॉटनी विभागाध्यक्ष प्रो. अरविंद पारीक ने बताया कि पेड़-पौधों पर क्यूआर कोड लगाने का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। इससे ना केवल प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा होगी बल्कि वनस्पतियों का डिजिटल डाटा भी तैयार होगा। कुलपति की मंजूरी मिलते ही क्यूआर कोड लगाए जाने की शुरुआत की जाएगी। मालूम हो कि विवि में कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर हाईकोर्ट की रोक लगी हुई है।
केरल में बना है पहला डिजिटल गार्डन
केरल के राजभवन में देश का पहला डिजिटल गार्डन बनाया गया है। कनककुन्नु गार्डन में पेड़-पौधों पर क्यूआर कोड लगाया गया है। इसमें पेड़-पौधों की प्रजाति, बॉटनीकल नाम, फूल खिलने, मौसम, औषधीय अथवा अन्य उपयोग, फल आने के बारे में जानकारी दी गई है। इसके अलावा दिल्ली में कुछ गार्डन में ऐसा किया गया है।
योजना हो गई चौपट
बॉटनी विभाग के तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रो. एस. के. महाना के कार्यकाल में करीब 25 वर्ष पूर्व बॉटनीकल गार्डन बनाया गया था। बरसों तक पथरीली जमीन होने का तर्क देकर प्रशासन ने गार्डन को आबाद करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। वर्ष 2005 में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री सांवरलाल जाट ने करीब 1 करोड़ रुपए की लागत से यहां बॉटनीकल और हर्बल गार्डन बनाने की योजना का शिलान्यास किया। यहां वनस्पति और औषधीय महत्व के पौधे, ग्रीन हाउस बनाना प्रस्तावित हुआ। इसके अलावा खेजड़ी, थोर और राजस्थान के अन्य पौधे लगाने पर भी विचार हुआ। लेकिन यह योजना कागजों में दफन हो चुकी है।
Published on:
29 Jun 2019 08:14 am
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