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खातेदारी के लिए दायर मुकदमे को सुनने का क्षेत्राधिकार राजस्व न्यायालय को,वारिस तय करना गौण विषय

राजस्व मंडल ने दी व्यवस्था,आरएए पाली का फैसला निरस्त कार्मिक विभाग को दिए आरएए के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश

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court news:

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भूपेन्द्र सिंह
अजमेर. राजस्व मंडल अध्यक्ष राजेश्वर सिंह तथा सदस्य हरि शंकर गोयल की खंडपीठ ने अपील से सम्बन्धित मुकदमे की सुनवाई करते हुए व्यवस्था दी है कि खातेदारी पाने के लिए दायर किए गए मुकदमे को सुनने का क्षेत्राधिकार राजस्व न्यायालय का है न कि सिविल न्यायालय की क्षेत्राधिकारिता का। वारिस तय करना गौण विषय है। प्रस्तुत मुकदमें यह ध्यान देना होगा कि यह खातेदारी घोषणा का है ना कि उत्तराधिकार तय करने का। मंडल ने माना कि यदि अपील में कोई प्रार्थना पत्र पेंडिग हो तो पहले उसे तय किया जाए। खंडपील ने मनमाना एंव विधि विरुद्ध फैसला करने पर राजस्व मंडल ने राजस्व अपील अधिकारी (आरएए) पाली के खिलाफ कार्रवाई के लिए कार्मिक विभाग को निर्देश दिए हैं। मंडल निबन्धक को इसके लिए प्रस्ताव कार्मिक विभाग को भेजना होगा। इसके साथ राजस्व मंडल ने अपील स्वीकर कर आरएए का निर्णय अपास्त कर दिया। राजस्व अपील अधिकारी ने मियाद बिन्दु तथा सीपीसी की धारा 96 के तहत प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के निर्णय के बिना ही अपील में जो निर्णय पारित किया है यह विधि विरुद्ध है। यह उनकी गंभीर लापरवाही को प्रदर्शित करता है।
6 माह में करें निर्णय
राजस्व मंडल की खंडपीठ ने प्रकरण को सहायक कलक्टर भीनमाल को पुन: सुनवाई के लिए प्रतिपे्रषित कर दिया।,साथ ही निर्देश दिए कि प्रत्यर्थीगण को जवाबदावा का एक अवसर प्रदान करें। दोनो पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का एक और अवसर देते हुए 6 माह में निर्णय पारित करें।
साक्ष्य से तय होगा असली भूराराम कौन
पीठ ने माना कि अप्रार्थी पांचाराम का भाई भूराराम न हो कर कोई और भूराराम है या इसके बारे में समुचित साक्ष्य के उपरांत ही निर्णय पारित किया जा सकता है। पीठ ने माना कि विवाद का मुख्य विषय यह है कि भूराराम के विधिक वारिस वास्तव में कौन हैं यह साक्ष्य से ही निर्णित किया जा सकेगा। जिसमें यह बिन्दु तय किए जाएंगे कि भूराराम की मृत्यु कब हुई एवं भूराराम लाऔलाद मरा तथा वारिश कौन हैं।
आरएए ने कोरोनाकाल में कर ली सुनवाई
कोरोना की द्वितीय लहर के दौरान सम्पूर्ण लॉकडाउन में सभी राजस्व न्यायालय बंद थे। लॉकडाउन में राजस्व अपील अधिकारी न आश्यचर्य जनक रूप से 17 मई 2021 को जब पूर्ण लॉकडाउन था आगामी तिथि 17 जून 2021 नियत कर दी। जबकि 16 जून 2021 को ही राजस्व मंडल ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि अदम हाजिरी, अदम पैरवी में कोई प्रकरण खारिज नहीं करें तथा एकतरफा कोई प्रकरण निर्णित नहीं करें। इसके बावजूद आरएए ने 17 जून अपीलांट की उपस्थित दर्ज करते हुए बिना प्रत्यर्थीगण को सुने उनका प्रार्थना पत्र खारिज कर 23 जून की अगली तारीख तय कर दी। मंडल की खंडपीठ ने माना कि 23 जून को कोरोना काल में विपक्षी को सुने बिना ही निर्णय पारित करना ना केवल प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के प्रतिकूल है बल्की राजस्व मंडल के निर्देशों के भी विपरीत है।
यह है मामला
जालौर जिले की तहसील बागोड़ा गांव वाटेरा निवासी प्रार्थी पांचराम पुत्र तेजिया ने एक दावा सहायक कलक्टर भीनमाल के समक्ष खातेदारी अधिकारों की घोषणा तथा इंद्राज दुरुस्ती का प्रस्तुत किया। दावे में यह कहा कि विवादित भूमि हमीरा पुत्र पीरा की खातेदारी में थी। हमीरा लाऔलाद फौत हो गया। हमीरा के भाई भूरा के नाम से नामंातरण 6 दिसम्बर 1972 को खुल गया। इसके बाद विवादित भूमि तेजीया पुत्र रूगनाथ व भूरा खोले हमीरा के नाम खातेदारी में आ गई। भूराराम लाऔलाद मर चुका है। भूरा की मृत्यु के बाद उसके कब्जे काश्त की भूमि पर वादी पांची ही संवत 2035 से खेती कर रहा है। चूंकि भूरा के कोई प्रथम श्रेणी का वारिस नहीं है इसलिए उसे उसका भाई वादी पांचा को खातेदार माना जाए। सहायक कलक्टर ने 11 मार्च 2010 को प्रार्थी का वाद स्वीकार कर लिया तथा उसे भूरा का उत्तराधिकारी मानते हुए वादी के पक्ष में डिक्री कर दी। इसके विरुद्ध अप्रार्थीगण नाथूराम तथाकथित पुत्र भूराराम व अन्य ने 9 साल बाद 14 मई 2019 को अपील राजस्व अपील अधिकारी (आरएए) पाली कैम्प जालौर के समक्ष पेश की। आरएए ने अप्रार्थीगण की अपील स्वीकर कर सहायक कलक्टर का निर्णय निरस्त कर प्रकरण को वापस सहायक कलक्टर को सुनवाई के रिमांड कर दिया। आरएए के फैसल के को प्रार्थी पंाचाराम ने राजस्व मंडल के समक्ष अपील पेश कर चुनौती दी।

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