
old kings send greetings
दिलीप शर्मा/अजमेर।
रियासत काल में तत्कालीन राजा महाराजा रोशनी के महापर्व के आकर्षक शुभकामना संदेश छपवाकर भिजवाते थे। ऐसे बधाई-पत्र कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना हुआ करते थे।
कुछ ऐसे ही रियासतकालीन बधाई संदेश अजमेर निवासी भारतीय जीवन बीमा निगम में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्यरत बी. एल. सामरा के पास सुरक्षित व संगृहीत हैं। विक्रम संवत 1899 यानी 175 वर्ष पूर्व लिखित दीपावली पूजन संबंधित विवरण व विरासत संरक्षण भी दर्शाते हैं कि तत्कालीन रियासतों के शासक त्योहारों को कितना महत्व देते थे।
उनके बधाई संदेश न केवल उस काल की समृद्धि को दर्शाते हैं बल्कि उत्कृष्ट कारीगरी का नायाब नमूना भी हैं। सामरा के पास स्वतंत्र भारत के प्रथम दीपोत्सव का सुंदर बधाई-पत्र भी सुरक्षित है जो सरकारी स्तर पर पहली बार प्रकाशित किया गया था। रियासतकालीन दीपावली के राजकीय बधाई संदेश हस्तनिर्मित कागज पर बांस कलम से काजल की बनी स्याही से तैयार किए जाते थे। यह शुभकामना-पत्र सुर्ख लंबी मखमली डिबिया में रखकर घोड़े पर दूसरे प्रांतों के शासकों को भेजे जाते थे। इस तरह के संदेशों में नवरात्र के भोज का भी निमंत्रण होता था।
गायत्री मंत्र का दुर्लभतम नमूना
सामरा के पास रियासतकालीन गायत्री मंत्र का दुर्लभतम नमूना भी सुरक्षित व संगृहीत है। करीब ढाई सौ साल पहले तत्कालीन मेवाड़ नरेश ने नवरात्र में शक्ति उपासना के लिए विशेष अनुष्ठान के दौरान तांत्रिक वेदी का चित्र लेख बनवाया था। इस वेदी चित्र के कोने पर भैरों के निशान है तथा मध्य भाग में गायत्री मंत्र का दुर्लभतम नमूना है।
कई पत्र हैं मौजूद
सामरा के पास ऐसे कई शुभकामना पत्र मौजूद हैं। वे पुरा महत्व की वस्तुओं, सामग्री के संकलन के शौकीन हैं। उनके पास महात्मा गांधी के पहले अखबार की प्रति, हस्त निर्मित पत्र, अजमेर के ब्रिटिश अधिकारियों के पत्र, राजा महाराजों के फरमान, एक और दो आने के पोस्ट कोर्ड, स्वतंत्रता दिवस पर जनता को भेजे जाने वाले कार्ड, तत्कालीन नगर परिषद के ऑर्डर संकलित हैं।
Published on:
19 Oct 2017 09:30 am
बड़ी खबरें
View Allअजमेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
