
kite festival in ajmer
रक्तिम तिवारी/अजमेर.
नीले आसमान में लाल-पीली-हरी और सतरंगी पतंगें उड़ाने का शौक अजमेर में बरसों से बरकरार है। शहर के परकोटे और बाहरी इलाकों में कई लोग पतंगबाजी के शौकीन हैं। वे खासतौर पर राखी और मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाते हैं। कई लोगों के परिवार में दादा-परदादा भी पतंग उड़ाने के माहिर उस्ताद रहे हैं।
अजमेर राजस्थान की ठेठ लोक संस्कृति और परम्पराओं के चलते मशहूर है। यहां का खान-पान, सर्वपंथ सम्भाव, जुलूस, गणगौर की सवारी और मेले मशहूर हैं। पतंगबाजी भी शहरवासियों के लिए पुरानी परम्परा के निर्वहन का जरिया बनी हुई है।
मशहूर हैं यह इलाके
शहर के नया बाजार, दरगाह बाजार-मदार गेट,ऊसरी गेट, ऋषि घाटी, फायसागर रोड, रामगंज, नगरा, केसरगंज-हाथीभाटा और अन्य इलाके पतंगबाजी के लिए मशहूर हैं। हर साल राखी और मकर संक्रांति पर लाल, पीली, नीली हरी और सतरंगी पतंगें आसमान में इठलाती दिखती हैं।
यहां मिलती हैं पतंगे
अजमेर में पुरानी-मंडी, घसेटी, दरगाह बाजार, रामगंज, वैशाली नगर सहित कई इलाकों में पतंगों, मंजे- सद्दा (पतंग उड़ाने की विशेष डोरी), चरखी की दुकानें हैं। यहां अहमदाबाद, जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, हैदराबाद, लखनऊ, आगरा और अन्य शहरों से बड़ी और छोटी पतंगें बिक्री के लिए मंगवाई जाती हैं। रंगबिरंगे कागज और प्लास्टिक से अजमेर में भी पतंगें बनाई जाती हैं।
निभाते हैं पतंगबाजी की परम्परा
भागदौड़ भरी जिंदगी, कारोबारी-नौकरी की व्यस्तता के चलते भले ही शहरमें पतंगबाजी का शौक कम हो गया है, लेकिन कई परिवारों में बच्चे और युवा परम्परा को बनाए हुए है। वे राखी और मकर संक्रांति पर छतों पर चरखी-मांजा-सद्दा लेकर पतंग उड़ाते हैं। बाकायदा पेच (दो पतंगों के बीच मुकाबला) लड़ाए जाते हैं। किसी की पतंग कटते ही वो काआआटा..की आवाज सुनाई देती है।
पतंग की डोर बांधना भी कला...
त्रिभुजाकार पतंग की डोर बांधना भी एक कला है। पहले पतंग के ऊपरी और निचले छोर पर बराबर छिद्र किए जाते हैं। फिर सफेद डोर (सद्दे) से इन्हें बांधकर मापा जाता है। ताकि डोर बराबर और मजबूत रहे। इस डोर से चरखी में लिपटा हुआ मांजा और सद्दा बांधा जाता है। पतंग का संतुलन बनाए रखने के लिए उसमें कागज अथवा प्लास्टिक से निर्मित चोटी (टेल) भी बांधी जाती है।
लोगों मांग पर काइट फेस्टिवल
लोगों की मांग और परम्परा को बनाए रखने के लिए राजस्थान पत्रिका और अजमेर विकास प्राधिकरण ने अजमेर में 14 जनवरी को कोटड़ा पत्रकार कॉलोनी के निकट नवनिर्मित विवेकानंद स्मारक पर काइट फेस्टिवल कराने का फैसला किया है। आजादी के बाद पहली बार होने वाले काइट फेस्टिवल में आमजन, पतगंगबाज, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी-जप्रतिनिधि शामिल होंगे।
Published on:
02 Jan 2022 08:10 am
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