7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दूर से देख रहे ये तमाशा, किसी को नहीं स्टूडेंट्स की परवाह

www.patrika.com/rajasthan-news

2 min read
Google source verification
law courses in problem

law courses in problem

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

कॉलेजों को नियमों का पाठ पढ़ाने वाले वाले महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय खुद इसकी पालना नहीं कर रहा। यहां संचालित एलएलएम पाठ्यक्रम बदहाल है। इसमें ना स्थाई शिक्षक ना संसाधन हैं। सरकार और बार कौंसिल ऑफ इंडिया नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ते देख रहे हैं।

विधि स्नातकों को उच्च अध्ययन की सुविधा देने के लिए विश्वविद्यालय ने सत्र 2006-07 में एलएलएम पाठ्यक्रम शुरु किया। यहां प्रथम और द्वितीय वर्ष 40-40 सीट है। शुरुआत में पाठ्यक्रम में पर्याप्त प्रवेश नहीं हुए। विधि के बजाय दूसरे विभागों के शिक्षकों को यहां विभागाध्यक्ष बनाया गया। तत्कालीन कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह ने वर्ष 2008 में राजस्थान विश्वविद्यालय के विधि शिक्षक प्रो. के. एल. शर्मा और लॉ कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. एस.आर. शर्मा को नियुक्त किया था। इनके जाते ही एलएलएम फिर बदहाल हो गया।

दूसरे संकाय के शिक्षक विभागाध्यक्ष
एलएलएम की बदहाली 12 साल से कायम है। विश्वविद्यालय में विधि विभाग में कोई स्थाई शिक्षक नहीं है। कभी मैनेजमेंट तो कभी कला संकाय के शिक्षकों को विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। यहां लॉ कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. आर. एस. अग्रवाल कक्षाएं ले रहे हैं। एलएलएम के अन्य विषय पढ़ाने के लिए यदा-कदा वकील या सेवानिवृत्त शिक्षक आते हैं।

खुद बीसीआई को नहीं परवाह

देश भर में एलएलएम पाठ्यक्रम की बदहाली से बार कौंसिल ऑफ इंडिया चिंतित है। उसके नियम पार्ट-चतुर्थ, भाग-16 में साफ कहा गया है, कि विश्वविद्यालय और कॉलेज को एलएलएम कोर्स के लिए स्थाई प्राचार्य, विषयवार शिक्षक और संसाधन जुटाने जरूरी हेांगे। कौंसिल की लीगल एज्यूकेशन कमेटी की सिफारिश पर यह नियम लागू किया गया है। इसके बावजूद बीसीआई की कमेटी ने विश्वविद्यालय को चेतावनी देने या पाठ्यक्रम बंद करने की कोशिश नहीं की है।

लॉ कॉलेज भी नहीं पीछे
विधि शिक्षा देने वाले लॉ कॉलेज में भी एलएलएम पाठ्यक्रम की स्थिति ठीक नहीं है। यहां प्राचाय और शिक्षकों सहित कुछ वकील कक्षाएं लेते हैं। लॉ कॉलेज में 14 साल से स्थाई प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हो पाई है। यहां वरिष्ठतम शिक्षक को प्राचार्य पद का चार्ज देना जारी है।