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ऐसे तो कभी नहीं बनेगी यह यूनिवर्सिटी टॉप, यहां तो बस कमियां ही कमियां

locationअजमेरPublished: Apr 10, 2019 05:38:01 am

Submitted by:

raktim tiwari

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, यूजीसी और राज्य सरकार को विश्वविद्यालय की कतई परवाह नहीं है।

top institutes of india

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का देश के श्रेष्ठ संस्थानों की सूची में स्थान बनाने का सपना पूरा होना मुश्किल है। विभागों में गिनने लायक शिक्षक एवं विद्यार्थी, उत्कृष्ट शोध और संसाधनों में कमी इसके लिए जिम्मेदार हैं। साल दर साल यहां हालात बदतर हो रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, यूजीसी और राज्य सरकार को विश्वविद्यालय की कतई परवाह नहीं है।
हाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नेशन इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फे्रमवर्क के तहत उत्कृष्ट संस्थानों की सूची जारी की है। इस सूची में देश के आईआईटी, आईआईएम, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, उच्च शिक्षा कॉलेज, फार्मेसी, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज सहित विश्वविद्यालय शामिल हैं। इस सूची में राजस्थान के केवल दो संस्थान स्थान बना पाए हैं। इनमें नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर और बिट्स पिलानी शामिल हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय तो इसके आसपास भी टिक नहीं पाई है। इसके पीछे कई कमियां, सियासी हस्तक्षेप, नियुक्तियों में देरी, उत्कृष्ट कोर्स में कमी जिम्मेदार है।
गिनने लायक हैं विभागों में शिक्षक
1987 में स्थापित विश्वविद्यालय में कभी 35 से ज्यादा शिक्षक थे। लगातार सेवानिवृत्तियों के चलते अब यहां 17 शिक्षक बचे हैं। साल 2017 में जूलॉजी और बॉटनी विभाग में प्रोफेसर की भर्ती हुई। 20 शिक्षकों की भर्ती अटकी हुई है। मौजूदा वक्त इतिहास, राजनीति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग में स्थाई शिक्षक नहीं है। कॉमर्स, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, कम्प्यूटर विज्ञान में मात्र एक-एक शिक्षक हैं। जबकि पत्रकारिता, विधि, हिन्दी विभाग में तो शिक्षक भर्ती का मुर्हूत ही नहीं निकला है।
इसीलिए पिछड़े ग्रेडिंग में

यूजीसी ने साल 2004 में विश्वविद्यालय को बी डबल प्लस ग्रेड प्रदान की थी। इस ग्रेडिंग में 15 साल में बदलाव नहीं हुआ है। इसे ए या ए प्लस ग्रेडिंग नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह शिक्षकों कमी है। दो साल पहले आई नैक टीम ने विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती को जरूरी बताया था। शिक्षकों की कमी के चलते ही विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या भी सीमित है।
ना उत्कृष्ट शोध ना संसाधन पूरे
विश्वविद्यालय उत्कृष्ट शोध में भी पीछे हैं। यहां वैश्विक अथवा राष्ट्रीय स्तर के शोध नहीं हो रहे। शोध प्रवेश परीक्षा नियमित नहीं हो रही। शोधार्थियों को घिसे-पिटे टॉपिक आवंटित किए जाते हैं। इसके अलावा विज्ञान की प्रयोगशाला में उपकरणों की कमी है। विश्वविद्यालय में विदेशी विद्यार्थियों-शोधार्थियों की आवाजाही नहीं होती। देश के श्रेष्ठ संस्थानों (आईआईटी, आईआईएम)के शिक्षकों को बुलाकर लेक्चर नहीं कराए जाते हैं।
फैक्ट फाइल

विश्वविद्यालय की स्थापना-1 अगस्त 1987
विद्यार्थियों की संख्या-900 से 1100

शैक्षिक विभाग-25
शिक्षकों की संख्या 18

यूजीसी से ग्रेड-बी डबल प्लस
सम्बद्ध कॉलेज-290

संघठक कॉलेज-कोई नहीं

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