सुबह आसमान में बादल मंडराते नजर आए। हवा (cool breeze) चलने से गर्मी महसूस नहीं हुई। बादलों (clouds)की ओट में छिपा सूरज (sun) कई बार तांक-झांक करता दिखा। रूपनगढ़, पुष्कर को छोडकऱ शहर और जिले में पिछले पांच-सात दिन से कहीं तेज बरसात नहीं हुई है। न्यूनतम तापमान 25.5 डिग्री रहा।
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Water crisis: चेन्नई की तरह अजमेर में लानी पड़ेगी वाटर ट्रेन 65 दिन में चाहिए 380 मिमी बारिश जिले और प्रदेश में इस साल मानसून (monsoon in ajmer) के महज 65 दिन बचे हैं। 1 जून से 31 जुलाई तक बरसात का आंकड़ा करीब 170 मिलीमीटर तक ही पहुंच पाया है। जबकि जिले
(ajmer district) की कुल औसत बरसात (1 जून से 30 सितम्बर तक) 550 मिलीमीटर मानी जाती है। इसको देखते हुए जिले को 380 मिमी बरसात की और जरूरत है।
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विधानसभा में गूंजा आनासागर झील किनारे होटल-रेस्टोरेंट का मामला दो साल में सबसे कम बारिश1 जून से 26 जुलाई तक की मानसून की इस स्थिति इस बार सबसे खराब (critical position) है। साल 2017 में जहां इस अवधि में 287.7 मिलीमीटर बारिश (Rain in ajmer) हुई थी। वहीं पिछले साल 201.2 मिलीमीटर पानी बरसा था। इस बार शहर और जिले में बरसात का ग्राफ बीते दो वर्षों की तुलना में काफी कम है। जिले के कई बड़े तालाब (ponds) और बांध (dams) खाली पड़े हैं।
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Green campus: एनएसएस स्टूडेंट गोद लेंगे पौधे, करेंगे सार-संभाल दो साल में जुलाई सर्वाधिक गर्मबीते दो साल में जुलाई का अंतिम सप्ताह इस पर सबसे गर्म (hot day) है। जहां साल 2017 में 20 से 27 जुलाई तक अधिकतम तापमान 27.4 से 35.4 डिग्री और 2018 में 29.8 से 33 डिग्री के बीच था। इस बार तापमान उछलता हुआ 34 से 38.4 डिग्री तक पहुंच गया। जुलाई (july month)में गर्मी की प्रचंडता ग्लोबल वार्मिंग
(global warming) के चलते हुई। इससे समूचे विश्व में कही सूखा (drought) तो कहीं अतिवृष्टि (flood), तापमान में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव हो रहा है।