
muhurraum in ajmer
अजमेर. मोहर्रम (muhurraum) पर मंगलवार को अजमेर सहित जिले भर में ताजिए निकाले जाएंगे। मुस्लिम धर्मावलंबी ताजिए (tazia sharif) की सवारी निकालकर उन्हें सैराब करेंगे। खासतौर पर तारागढ़ (taragarh) स्थित दरगाह में रक्त रंजित मंजर पेश किया जाएगा।
ख्वाजा साहब की दरगाह (garib nawaz dargah ajmer) में करीब दस दिन पहले मोहर्रम की रस्में शुरू हो गई थी। दरगाह में कव्वालियों का दौर थमा हुआ है। शाही कव्वाल असरार हुसैन ने बताया कि परम्परानुसार मोहर्रम की 12 तारीख तक कव्वालियां बंद रहेंगी।
निकलेंगे ताजिया शरीफ
मोहर्रम में परम्परानुसार ताजिया शरीफ (tazia sahrif procession) की सवारी निकलेगी। अजमेर सहित निकवटर्ती दौराई, ब्यावर, नसीराबाद, केकड़ी, किशनगढ़, भिनाय, सरवाड़ और अन्य इलाकों में ताजिए निकाले जाएंगे। मुस्लिम धर्मावलंबी ताजिया की सवारी निकालने के बाद जलाशयों में सैराब करेंगे।
यह हुई दरगाह में रस्में
दरगाह में हजरत इमाम हुसैन की चौकी धुलाई की रस्म अदा की गई थी। इसी दिन मोहर्रम का चांद देखने के लिए हिलाल कमेटी की बैठक हुई। इसके बाद बयान-ए- शहादत और मर्सियाख्वानी का दौर शुरू हुआ था। इसके बाद चौकी शरीफ को इमामगाह लंगरखाना (imamgah) से झालरे तक ले जाया गया था। लंगरखाना में चौकी पर गरीब नवाज के मजार शरीफ का गिलाफ रखा गया। इसी दिन चांदी के ताजिए शरीफ (silver tazia) की जियारत भी कराई गई थी।
खुला था बाबा फरीद का चिल्ला
मोहर्रम के दौरान दरगाह स्थित बाबा फरीद (baba farid) का चिल्ला खोला गा। परम्परानुरा चिल्ला साल में एक बार मोहर्रम की चार तारीख को खोला जाता है। इसकी जियारत के लिए देशभर से जायरीन यहां पहुंचे थे। यह चिल्ला 72 घंटे के लिए खोला गया था।
तलवारों से खेला हाईदौस
मोहर्रम की 9 व 10 तारीख को दरगाह क्षेत्र स्थित अंदरकोट में तलवारों (swords) से हाईदौस (Hidaus) खेलने की परम्परा रही है। हाईदौस अजमेर के अलावा पाकिस्तान के लाहौर में खेला जाता है। अजमेर में 9 सितंबर को हाईदौस खेला गया। इसके लिए दी पंचायत अंदरकोटियान को जिला प्रशासन से इजाजत लेनी पड़ी ।
Published on:
10 Sept 2019 08:25 am
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