एक निजी स्कूल में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने आए सिद्धू ने पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने का बचाव करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दोनों देशों के बीच बस चलाई।
मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिन बुलाए नवाज शरीफ की बेटी की शादी में शामिल होने गए। यही सोच लेकर वे भी पाकिस्तान गए। फासले मिटाने की ताकत उन्होंने कहा स्पोट्र्समैन फासले मिटाने की ताकत रखता है। इमरान खान, वसीम अकरम, विराट कोहली, नुसरत फतेह अली खान सरीखे लोग प्रेम बनकर लोगों को जोड़ते हैं। उन्होंने इमरान खान सरकार की वकालत करते हुए कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक सरकार में फौज मुल्क नहीं चला सकती। लोकतंत्र में मतपेटी जीतती है। फौज नहीं जनता ही अपना राजा चुनती है।
सफलता आपके कदम चूमेगी कार्यक्रम में विद्यार्थियों के सवालों का चुटीले अंदाज में जवाब देते हुए सिद्धू ने कहा कि कुछ बनना है तो सपनों की दुनिया से बाहर निकलें और मेहनत की दुनिया में कदम रखें सफलता आपके कदम चूमेगी। उन्होंने महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए कहा कि वे पहले चार रन बनाने के लिए जूझे और बाद में भारत के लिए 15 हजार रन बनाकर महान बने।
विराट पसंदीदा खिलाड़ी-गांधी प्रेरणादायक
विद्यार्थियों के सवालों के जवाब में उन्होंने भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली को अपना ऑल टाइम फेवरेट खिलाड़ी बताया। उन्होंने कहा फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले इस खिलाड़ी का एटीट्यूड ही उसे अलग बनाता है। उनके मन में कोई संदेह और कोई भय भी नहीं है। उन्होंने महात्मा गांधी को अपना प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि उन्होंने आत्मबल और बिना हिंसा के देश को आजाद कराया। गांधी की सत्यमेव जयते की ताकत को कोई हिला नहीं सकता। सृष्टि बदलनी है तो दृष्टि बदलनी होगी
विद्यार्थियों के सवालों के जवाब में उन्होंने भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली को अपना ऑल टाइम फेवरेट खिलाड़ी बताया। उन्होंने कहा फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले इस खिलाड़ी का एटीट्यूड ही उसे अलग बनाता है। उनके मन में कोई संदेह और कोई भय भी नहीं है। उन्होंने महात्मा गांधी को अपना प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि उन्होंने आत्मबल और बिना हिंसा के देश को आजाद कराया। गांधी की सत्यमेव जयते की ताकत को कोई हिला नहीं सकता। सृष्टि बदलनी है तो दृष्टि बदलनी होगी
इससे पूर्व पत्रकारों से बातचीत में नवजोत सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की सोच है प्यास कुएं के पास नहीं बल्कि प्यासा कुएं के पास जाए। सोच से सोच की लड़ाई कार्यक्रम इसी उद्देश्य को लेकर शुरू किया गया है। इस दौरान उन्होंने राजनीतिक सवालों के जवाब देने से इंकार कर दिया।