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48 घंटे तक अस्पताल के बाहर तड़पता रहा इंसान, किसी ने नहीं ली सुध, तो ये बने बेसहारा का सहारा

150 चिकित्सक-रेजीडेंट व 300 नर्सिंगकर्मियों के गुजरने वाले मार्ग के हालात...

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अजमेर

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Dinesh Saini

May 19, 2019

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- चन्द्रप्रकाश जोशी/अजमेर।


बदलते समय के साथ अब इंसानियत भी खत्म होती जा रही है। इंसानियत के गिरते स्तर का एक नजारा प्रदेश में फिर से देखने को मिला। अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के दरवाजे तक पहुंचकर भी एक व्यक्ति इलाज के लिए 48 घंटे तड़पता रहा। तेज चलती सांसों के कारण बोलना मुश्किल हो रहा था। जुबान भी लडखड़़ा रही थी। पार्क के पास की दीवार से सटकर सडक़ किनारे धूप में तड़पते लावारिस जैसी हालत वाले मरीज पर किसी का दिल नहीं पसीजा, जबकि इस मार्ग से प्रतिदिन 150 चिकित्सकों व 300 से अधिक नर्सिंगकर्मियों की आवाजाही रहती है।

कुछ परिजन ने बताया कि व्यक्ति दो दिन से इसी हालत में यहां पड़ा है, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। पत्रिका रिपोर्टर व फोटो जर्नलिस्ट ने इस व्यक्ति को लावारिस हाल में पड़े देखा तो अविलम्ब उसको उपचार उपलब्ध करवाया उसके बेसुध होने से उसकी पहचान और इन हालात तक पहुंचने का पता नहीं चल सका है।

कैजुल्टी ले जाकर दिलाई राहत
पत्रिका टीम ने यहां कार्यरत मेल नर्स (प्रथम श्रेणी) नरेश शर्मा को बाहर पड़े मरीज की पीड़ा बताई, तो वे साथ चले आए। बाहर ही मरीज की जांच की और तुरंत उसे ट्रॉली पर लेटाकर अस्पताल के अंदर पहुंचाया। लघुशंका से खराब हुए कपड़ों को बदलवाने के साथ मेल नर्स शर्मा ने कृत्रिम ऑक्सीजन दिलवाई, चिकित्सकों से जांच कराकर इलाज शुरू करवाया।