
buildings in lock
अजमेर.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ‘राज्यपाल ’ को भी तवज्जो नहीं देता है। डेढ़ साल पहले राज्यपाल ने बहुउद्देशीय मंगलम भवन का लोकार्पण किया। लेकिन बैंक से एमओयू नहीं होने से करोड़ों रुपए का भवन ताले में बंद है। फाइलों में अनर्गल टिप्पणियों से भवन का मुर्हूत नहीं निकल रहा। यूजीसी और जनता की गाढ़ी कमाई से बना भवन अनुपयोगी पड़ा हुआ है।
विश्वविद्यालय ने बहुउद्देशीय और अत्याधुनिक सुविधाओं युक्त मंगलम भवन बनवाया है। यहां भारतीय स्टेट बैंक (तब एसबीबीजे), फोटो और फैक्स सुविधा, इंटरनेट, पोस्ट ऑफिस, छोटा केफेटेरिया और विद्यार्थियों के रुकने के लिए प्रतीक्षालय बनाया गया है। आधुनिक तकनीकी वाले भवन का 1 अगस्त 2017 को राज्यपाल कल्याण सिंह ने उद्घाटन किया था।
एमओयू में फंस रहा पेंच..
नाम के अनुरूप भवन में बैंक या किसी कियोस्क का मंगल प्रवेश नहीं हो पाया है। भारतीय स्टेट बैंक की शाखा को चाणक्य भवन से यहां शिफ्ट किया जाना है। बैंक और विश्वविद्यालय के बीच हुए एमओयू पर अमल नहीं हो रहा है। पिछले दिनों कर्मचारी संघ ने एमओयू और बैंक को मंगलम भवन शिफ्ट होने की बात पूछी थी। इस पर प्रशासन ने 15 फरवरी तक बैंक को शिफ्ट करने का आश्वासन दिया था। लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ है।
कई भवन हुए बदहाल
विश्वविद्यालय की अनदेखी से कई भवन बदहाल हो चुके हैं। इनके निर्माण में सरकार, यूजीसी और जनता की गाढ़ी कमाई लगी है। इनमें स्टाफ कॉलोनी के निकट बने परीक्षा नियंत्रक और कुलसचिव के क्वार्टर, शोधार्थियों के लिए बना याज्ञवलक्य भवन और बुक वल्र्ड, डेयरी पार्लर कियोस्क शामिल है। विक्रमादित्य भवन के पीछे भी छह साल से भवन अधूरा पड़ा है।
शिक्षक क्वार्टर हो रहे खराब
कुलपति निवास के समीप शिक्षकों के लिए दस क्वार्टर बनाए गए हैं। शुरुआत में यहां कई शिक्षक रहे। लेकिन लगातार सेवानिवृत्तियों और मकान किराया भत्ता में नुकसान के चलते शिक्षकों ने अपने निजी मकान बना लिए हैं। शिक्षक क्वार्टर में अब सिर्फ प्रो. मनोज कुमार रहते हैं। एक क्वार्टर में पीटीईटी का कार्यालय संचालित है। अन्य क्वार्टर खराब हो रहे हैं।
Published on:
19 Feb 2019 07:20 am
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