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अब सरकारी नुमाइंदों की मौजूदगी में होगी विद्युत दुरुपयोग व चोरी सम्बन्धी मामलों की सुनवाई

अजमेर डिस्कॉम ने निरस्त किया टाटा पावर का १० महीने पुराना आदेशचारस्तरों पर सुनवाई के लिए कमेटियां गठित टाटा,निगम के साथ ही आरईआरसी का सदस्य भी होगा कमेटी में

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अब सरकारी नुमाइंदों की मौजूदगी में होगी विद्युत दुरुपयोग व चोरी सम्बन्धी मामलों की सुनवाई

ajmer discom

अजमेर.अजमेर विद्युत वितरण निगम ajmer discom ने शहर की बिजली व्यवस्था संभाल रही फ्रैंचायजी कम्पनी के मनमानी पर रोक लगाते हुए विद्युत दुरुपयोग व विद्युत चोरी सम्बन्धित मामलों का निस्तारण अब टाटा पावर के अभियंताओं के अलावा government representatives निगम अधिकारी व राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आईआरसी) द्वारा नामित सदस्य की मौजूदगी में ही होगा। निगम के प्रबन्ध निदेशक वी.एस.भाटी के निर्देश पर निगम के अतिरिक्त मुख्य अभिंयता(प्रोजेक्ट) ने इस सम्बन्ध में आदेश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही टाटा पावर द्वारा १ जनवरी २०१९ को जारी किया गया आदेश भी निरस्त कर दिया गया है। यह आदेश टाटा पावर ने निगम के बिना पूर्व अनुमति के अपनी स्तर पर ही जारी किया था। निगम ने उपभोक्ताओं के विद्युत बिलों एवं बकाया वसूली के विवाद (विद्युत अधिनियम की धारा १२६ व १३५ के अलावा) अन्य किसी भी प्रकार के जारी डिमांड से सम्बन्धित मामलों के निस्तारण के लिए चार स्तरों पर कमेटी भी गठित कर दी है। उपभोक्ता टाटा पावर द्वारा निर्धारित स्थानों पर अपना वाद दर्ज करवा सकते हैं, इसके साथ सुनवाई के लिए ही फीस भी जमा करवानी होगी।

किस कमेटी को कितना अधिकार

निगम द्वारा गठित उपखंड स्तरीय कमेटी १० हजार रुपए तक के मामलों की सुनवाई कर सकेगी। खंडस्तीय कमेटी २५ हजार,वृतस्तरीय कमेटी ३ लाख रुपए तक के मामले सुन सकेगी। निगम के प्रबन्ध निदेशक की अध्यक्षता में गठित कमेटी ३ लाख रुपए से अधिक के मामलों की सुनवाई करेगी। अगर उपभोक्ता उपखंड/ खंड/ वृत स्तरीय कोरम के निर्णय से संतुष्ट नहीं हो तो व निगम स्तरीय फोरम मेंअपील कर सकेगा यदि किसी विवाद का निस्तारण निर्धारित समय में नहीं होता है तो विद्युत लोकपाल के समक्ष वाद प्रस्तुत किया जा सकता है।

त्रुटिपूर्ण वीसीआर का होगा रिव्यू

विद्युत अधिनियम की धारा १३५ के तहत भरी गई त्रुटिपूर्ण वीसीआर की रिव्यू एवं मॉनेटरिंग के लिए निगम स्तर पर कमेटी गठित की गई है। वृतस्तरीय वीसीआर रिव्यू कमेटी ५ लाख रुपए तक के मामले सुनेगी। जबकि संभागस्तरीय कमेटी ५ से २० लाख रुपए के तहत मामले जबकि निगमस्तरीय कमेटी सिविल लाईबिल्टी राशि २० लाख रुपए से अधिक के मामले सुनेगी।

धारा १२६ के मामले आरआरवीपीएन करेगा निर्धारित करेगा

विद्युत अधिनियम की धारा १२६ के तहत दर्ज किए गए मामलों का निस्तारण राजस्थान राज्य विद्युत वितरण निगम (आरआरवीपीएन) करेगा। अभी तक एेसे मामलों की सुनवाई खुद टाटा पावर ही अपने स्तर पर करता था जबकि इस तरह के मामले की सुनवाई का अधिकार खुद अजमेर डिस्कॉम को भी नहीं है।

इनका कहना है
डिस्कॉम ने कौन सा आदेश जारी किया है मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं अभी बाहर हूं,ऑर्डर देख कर ही कुछ कह सकता हूं।

गजानन्द काले,सीईओ फ्रेंचायजी,टाटा पावर

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