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सांवरलाल जाट ने लिया था गांव गोद, अफसरों ने यूं भुला दिए काम

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महावीर भट्ट/पुष्कर.

पुष्कर के निकट करीब चार हजार की आबादी का गांव कानस आज तक आदर्श नहीं बन पाया है। इस गांव को गोद लेने वाले भाजपा के कद्दावर नेता और अजमेर के सांसद रहे सांवरलाल जाट का निधन होने के बाद विभिन्न विभागों के अधिकारियो ने गांव से मुंह मोड़ लिया और विकास की रफ्तार थम गई। सांसद के निधन के बाद किसी अधिकारी ने गांव को आदर्श बनाने की योजना को मूर्त रूप देने में कोई रूचि नही दिखाई।

पहले हुए काम, फिर ठप
अजमेर के सांसद व भाजपा के कद्दावर नेता सांवरलाल जाट ने 22 मई 2017 को कानस गांव को गोद लिया था। इस योजना के तहत सांसद जाट की अध्यक्षता में दो बैठकें भी हुई। पहली बैठक 6 जून 2017 को हुई इसमें जिले के तमाम सरकारी अधिकारियो को गांव विकसित करने का प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दिए गए। इसके बाद दूसरी बैठक 11जुलाई 2017 को हुई। इन दोनो बैठकों में करीब पांच करोड़ रुपए के कुल 45 प्रस्ताव पारित किए गए। सांसद जाट के प्रयासों से सरकारी मशीनरी कानस गांव का स्वरूप बदलने में जुट भी गई थी। कानस गांव को घर घर पेयजल लाइन से जोड़ दिया गया था। सडक़ें बनवाई गई। विद्युत स्टेशन शुरू करवा दिया गया लेकिन इसी बीच संासद सांवरलाल का निधन हो गया तथा विकास को दौड़ रही सरकारी मशीनरी एकाएक ठंडी पड़ गई। जाट के निधन के बाद से आज तक किसी अधिकारी ने कानस गांव जाना तक उचित नहीं समझा। प्रदेश में सियाशी फेरबदल के साथ ही कानस गांव को आदर्श सांसद गांव बनाने की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।

कराए गए कार्य-
सरपंच संजू देवी की मानें तो सांसद सांवरलाल जाट के रहते करीब ढाई करोड़ के काम करा दिए गए लेकिन उनके निधन के बाद काम रोक दिया गया। उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि कानस गांव के घर घर तक पानी पहुंचाना रही। सडक़ें, नालियां बनाई गई। मनरेगा में कामों को गति मिली। इसी तरह से पीने के पानी की 80 लाख की योजना सांसद जाट की प्रमुख उपलब्धि कही जा सकती है। इसके टेन्डर हो गए हैं तथा काम होने की उम्मीद है। लेकिन पंचायत के लीला सेवड़ी व नेडलिया गांव में तो अभी तक पानी नहंी पहुंचा है। इसी तरह से 65 लाख की लागत से कानस पंचायत का नया भवन सांसद योजना में ही बन पाया है।

अधूरेकार्य-

सांसदजाट की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में गांव की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए दस बीघा जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव लिया गया था। गांव की जमीनें अजमेर विकास प्राधिकरण मेें चली गई और करीब 400 छात्राओं के इस विद्यालय को आज तक जमीन नहीं मिल सकी है। स्कूल बनाने के लिए 75 लाख की वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। एक बार बजट लेप्स हो गया तथा दूसरी बार मिला लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण यह बजट भी आगामी मार्च में लेप्स होने के आसार हैं। इसी तरह से कानस पंचायत भवन के लिए पांच बीघा जमीन देने का प्रस्ताव लिया गया था इसके एवज में मात्र एक हजार वर्ग गज जमीन देकर इतिश्रीकर दी गई। गांव सीमा में पिलरों पर बाईपास सडक़ बनाने का निर्णय आज तक क्रियान्वित नहीं हो सका है। खास बात यह रही कि आदर्श गांव बनाने की डीपीआर तक नही बनाई जा सकी। पंचायत का आबादी क्षेत्र नहीं बढ पाया। मजरे ढाणियां की जमीनें एडीए में शामिल कर दी गई। चिकित्सा के क्षेत्र में भी कानस व कड़ैल पंचायतों के बीच एक एएनएम है। ग्रामीण इलाज के भटकते रहते हैं। कॉऔपरेटिव बैंक नहीं है। प्रधानमंत्री की डिजीटल योजना के तहत गांव में अभी भी नकद में ही लेनदेन किया जाता है।

गांव को आदर्श बनाने के लिए करीब पांच करोड़ के पैंतालीस प्रस्ताव लिए गए थे। करीब ढ़ाई करोड़ के काम हो गए लेकिन सांसद सांवरलाल जाट के निधन के बाद कोई काम नहीं हुआ है। कोई अधिकारी नहीं आया। नए सांसद ने भी सुध नही ली।

- संजू रावत, सरपंच कानस ग्राम पंचायत पुष्कर


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