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लोगों को दिख जाते हैं पैंथर, फॉरेस्ट विभाग की रिपोर्ट में नहीं आते नजर…

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panther in ajmer district

panther in ajmer district

अजमेर.

वैशाख माह की पूर्णिमा पर वन विभाग हर साल वन्य जीवों की गणना करता है। लेकिन विभाग को पैंथर कहीं नजर नहीं आते। दूसरी तरफ अजमेर जिले के कई इलाकों में आम लोग साल भर तक पैंथर देखते रहते हैं। कई इलाकों में तो आबादी क्षेत्र तक पहुंच जाते हैं।

जिले के अजयपाल बाबा मंदिर, गौरी कुंड, चौरसियावास तालाब, आनासागर, फायसागर, चश्मा ए नूर, नरवर, मदार, हाथीखेड़ा, नसीराबाद और अन्य इलाकों में जलाशयों के निकट हर साल वन विभाग वन्य जीवों की गणना करता है। इसी तरह किशनगढ़ में गूंदोलाव झील, ब्यावर में सेलीबेरी, माना घाटी, पुष्कर में गौमुख पहाड़, बैजनाथ मंदिर, नसीराबाद में सिंगावल माताजी का स्थान, माखुपुरा नर्सरी के निकट, कोटाज वन खंड, सरवाड़ में अरवड़, अरनिया-जालिया के बीच, नारायणसिंह का कुआं, सावर-कोटा मार्ग और अन्य वाटर हॉल पर भी गणना होती है।

पैंथर पर रहती है निगाहें
वन कर्मियों की पैंथर पर खास निगाहें रहती हैं। लेकिन विभाग की रिपोर्ट में यह कॉलम खाली ही रहता आया है। ऐसा तब है जबकि ब्यावर-जवाजा, राजियवास, मसूदा क्षेत्र सहित कल्याणीपुरा गांव के निकट कई बार पैंथर देखे गए हैं। वहीं वन विभाग को बीते चार-पांच साल में गणना के दौरान पैंथर नहीं दिखे हैं। साल 2016 में तो अजमेर की तारागढ़ हैप्पी वैली क्षेत्र में पैंथर दिख चुका है। मालूम हो कि विभाग वन्य जीव गणना में पैंथर की संख्या लगातार कम हो रही है।