यूरोलॉजी विभाग में अजमेर ही नहीं नागौर, भीलवाड़ा, चित्तौडगढ़़, पाली, सहित विभिन्न जिलों से इलाज के लिए मरीज आते हैं। मरीजों के बढ़ते दबाव एवं ऑपरेशन केस अधिक आते हैं मगर सप्ताह में ऑपरेशन के निर्धारित दो दिन कम पड़ते हैं। अगर विभाग तीसरे दिन भी एनिस्थिसिया की मांग करता है तो एनिस्थिसिया नहीं मिल पाता है और कई बार ऑपरेशन के लिए मरीजों को लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ता है। यूरोलॉजी विभाग में ओपीडी 350 से 375 तक रहती है। राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव की ओर से प्रथम तल पर भवन निर्माण के लिए राशि स्वीकृत भी की गई मगर काम शुरू ही नहीं हो पाया।
भर्ती मरीजों (ऑपरेशन) की स्थिति माह भर्ती मरीज जनवरी 152 फरवरी 137 मार्च 160 न कूलर, न बढ़ रहे बैड यूरोलॉजी विभाग में मेल व फिमेल वार्ड के लिए 20 बैड स्वीकृत हैं, मगर शिविरों व भामाशाहों के सहयोग से मिले करीब 12 और बैड लगाकर कुल 32 बैड पर मरीजों को भर्ती किया जाता है। मरीजों के लिए ये बैड की संख्या कम है। मेल व फिमेल दोनों वार्डों में एक भी कूलर नहीं चल रहा है। तीन कूलर लगे हैं, लेकिन वे भी खराब हैं।
दवा काउंटर बंद, कार्डियोलॉजी विभाग से लाते हैं मरीज यूरोलॉजी विभाग में दवा काउंटर पिछले दो साल से बंद पड़ा है। यहां के मरीज पास में कार्डियोलॉजी विभाग स्थित मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के काउंटर से लानी पड़ती है। इस विभाग में गार्ड एवं स्वीपर की भी व्यवस्था नहीं है।
एक भी एसी नहीं, मरीजों पर संकट यूरोलॉजी विभाग में एसी का अभाव है। मरीजों को फ्लूड चढ़ाया जाता है जो गर्मी के चलते पसीने के रूप में बाहर निकल जाता है, और प्रोपर यूरिन नहीं आता है। ऐसे में मरीजों के उपचार में परेशानी उत्पन्न हो रही है। यहां वातानुकूलित वार्ड अत्यंत आवश्यक है।
इनका कहना है… यूरोलॉजी विभाग में प्रतिमाह पौने दो सौ आईपीडी होती है, मगर एक ही यूनिट के बावजूद मात्र दो दिन ऑपरेशन के लिए मिलते हैं, जो संभव नहीं हो रहा है। सप्ताह में एक दिन और बढ़ाने की जरूरत है। यहां एसी, कूलर तक नहीं है, मरीज गर्मी से बेहाल हैं। कॉलेज प्रशासन को कई बार समस्या से अवगत कराया है।
डॉ. रोहित अजमेरा, विभागाध्यक्ष, यूरोलॉजी, जेएलएनएच यूरोलॉजी विभाग में मरीजों का दबाव, सुविधाएं नाकाफी