
महात्मा गांधी के सिद्धांतों से दुनिया में शांति संभव
Three Day Ajmer Literature Festival अजमेर. महात्मा गांधी के चरखे, लाठी और सादगी में काफी ताकत है। अहिंसा, सत्याग्रह, सद्भाव और प्रेम के जरिए लोगों को एकता के सूत्र में रखा जा सकता है। सभी कौम के लोग समरसता रूपी माला की लडिय़ां तभी बन सकते हैं, जब संकीर्ण मानसिकता की जगह सर्वव्यापी सोच रखें।
विचारों में भले ही मतभेद हों, लेकिन मन भेद नहीं होना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सत्ता का चाबुक चलाना अत्याचार की श्रेणी में आता है। किसी धर्म, विचार और नीतियों को थोपना लोकतंत्र के खिलाफ है। शुक्रवार को इंडोर स्टेडियम में आयोजित तीन दिवसीय अजमेर साहित्य उत्सव के प्रथम दिन वक्ताओं ने ऐसे विचार व्यक्त किए।
संस्कृतियों का संगम
साहित्यकार नासिरा शर्मा ने कहा कि भारत देश विभिन्न संस्कृतियों का संगम है। कट्टरवादी ताकतें देश के मूल स्वरूप को बिगाड़ रही है। इससे आम लोगों में भय है। दुनिया में भारत की पहचान शांति, सद्भाव और सांस्कृतिक एकता के रूप में हैं। महात्मा गांधी के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है। गांधी के सिद्धांतों से दुनिया में शांति संभव है। यदि ऐसी ताकतें सक्रिय रही तो देश का संविधान खतरे में पड़ जाएगा।
सत्याग्रह में बहुत ताकत
साहित्यकार नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि महात्मा गांधी पहले भी अकेले थे। आज और कल भी अकेले रहेंगे,लेकिन उनके सिद्धांतों में ब्रह्मास्त्र जैसी ताकत है। समाज को जोडऩे, वैमनस्यता समाप्त करने, हिंसा की खिलाफत व सत्याग्रह के जरिए लक्ष्य र्अिर्जत करना गांधी के सिद्धांतों से भी संभव है।
विमोचन : समारोह में रासबिहारी गौड़ द्वारा लिखित ‘किसी दिन लिखूंगा कविता’ नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।
उत्सव के पहले दिन रासबिहारी गौड, अशोक रावत,अनिरुद्ध उमट,मीनू नमित व वर्तिका ने भी विचार व्यक्त किए। २१वीं सदी के मुहाने पर गजलें अशोक रावत,नवल किशोर भाभड़ा,गोपाल गर्ग व दिनेश सिंहल ने पेश की। कविताएं बख्शीश सिंह, उमेश चौरसिया, कालिंद नंदनी शर्मा, ब्रजेश माथुर, विनीता बाड़मेरा, ध्वनि मिश्रा,रामावतार यादव, विनिता जैन, गोविन्द भारद्वाज व गोविन्द दूबे ने सुनाई।
Published on:
21 Dec 2019 01:20 am
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