
Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने की मान्यता सदियों से चली आ रही है। पन्द्रह दिनों के कनाकत पक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। राजस्थान में पिंडदान करने के लिए आप तीर्थराज पुष्कर जा सकते हैं। मान्यता है कि भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ का पुष्कर में श्राद्ध किया था।
पन्द्रह दिनों के श्राद्ध पक्ष में पुष्कर सरोवर के बावन घाटों पर श्राद्ध करने वालों का तांता लगा रहेगा। कोई जौ के आटे से तो कोई चावल से बने पिंड बनाकर अपने पितरों का पिण्डदान करेगा। श्राद्ध करने के बाद पुरोहितों का वस्त्रदान, भोजन, दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया जाता है। आपको बता दें कि पुष्कर तीर्थ राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है। यह एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह स्थान विशेष रूप से भगवान ब्रह्मा के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर झील के किनारे बसा हुआ यह तीर्थ स्थल धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
पुष्कर झील का जल पवित्र माना जाता है और इसे स्नान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यहां हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस मेले में ऊंटों की दौड़, स्थानीय हस्तशिल्प और पारंपरिक संगीत-नृत्य का आनंद लिया जा सकता है। पुष्कर में अनेक अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं, राधा-कृष्ण मंदिर, महादेव मंदिर और सावित्री देवी मंदिर। सावित्री देवी मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और यहां से झील का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
पुष्कर का वातावरण आध्यात्मिक और शांति प्रदान करने वाला है। यहां पर आपको साधु-संतों की उपस्थिति और भक्ति गीतों की गूंज सुनाई देगी। इस स्थान पर यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को न केवल धार्मिक अनुभव होता है, बल्कि वे स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का भी अनुभव कर सकते हैं। पुष्कर की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व इसे एक अद्वितीय तीर्थ स्थल बनाते हैं, जहां हर कोई आकर मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है।
Published on:
17 Sept 2024 10:42 am
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