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Poultry farm : घाटा इतना कि अब व्यापार से कर रहे तौबा

locationअजमेरPublished: Jan 03, 2020 09:27:09 pm

Submitted by:

dinesh sharma

यूपी और बिहार में उत्पादन, बरवाला से प्रतिस्पद्र्धा ने तोड़ी पोल्ट्री उद्योग की कमर, 2.5 : करोड़ लगभग बरवाला पोल्ट्री उद्योग में मुर्गियां, 5.0 : लाख तक मुर्गियां के हैं पोल्ट्री फार्मर

poultry

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दिनेश कुमार शर्मा

अजमेर.

यूपी-बिहार में खुले बेतहाशा पोल्ट्री फार्म और हरियाणा के बरवाला से मिली प्रतिस्पद्र्धा ने अजमेर के पोल्ट्री उद्योग की कमर तोड़कर रख दी। यूपी और बिहार में पिछले एक साल में धडल्ले से पोल्ट्री फार्म खुले हैं। यूपी में योगी सरकार की ओर से इस पर अधिक अनुदान दिया जाना भी एक कारण रहा।
हरियाणा के बरवाला में भी 400 के करीब पोल्ट्री फार्म खुल गए, जिससे वहां इनकी संख्या 600 से अधिक पहुंच गई। बरवाला के पोल्ट्री फार्म हरियाणा के अलावा यूपी-बिहार में भी अंडे सप्लाई करने लगे।
इससे यूपी-बिहार में अजमेर के अंडों की मांग घट गई। बरवाला से प्रतिस्पद्र्धा और अजमेर में उत्पादन के मात्र 10 प्रतिशत अंडों की ही खपत होने से अजमेर का पोल्ट्री उद्योग खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है।
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और घटेगा उत्पादन

अजमेर से अंडों का उत्पादन आने वाले समय में और घटेगा। पोल्ट्री फार्म में अब तक जहां 80 लाख तक मुर्गियां पल रही थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर 40 लाख रह गई है। मुर्गी से करीब 20 महीने तक अंडे लिए जा सकते हैं।
ऐसे में चूजे तैयार करने होते हैं। वर्तमान में मात्र 10 लाख चूजे ही तैयार हो रहे हैं। ऐसे में जो उत्पादन वर्तमान में आधा रहा है वह आने वाले दिनों में चौथाई रह जाएगा।
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फिर कैसे मिलेगा मुनाफा

चूजे को तैयार करने में 300 रुपए तक खर्च आता है। वर्तमान में सीजन होते हुए भी उत्पादन लागत पर ही अंडा बिक रहा है। जब अंडा उत्पादन पर मुनाफा मिल ही नहीं रहा तो चूजे को तैयार करने में खर्च हुए रुपए कैसे वसूल होंगे।
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अधिक अनुदान मिले तो बने बात

यूपी और बिहार सरकार ने मुर्गीपालन पर अधिक अनुदान की व्यवस्था कर रखी है। दस हजार मुर्गियों के फार्म पर 20 से 25 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है। इसके अनुपात में राजस्थान में अनुदान बहुत कम है।
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आधी रह गई सप्लाई

गत वर्ष तक यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश में 30 लाख प्रतिदिन तक अंडा सप्लाई हो रहा था। वहां खुले पोल्ट्री फार्म से यह संख्या अब 15 से 18 लाख प्रतिदिन ही रह गई है। इसे भी बिना मुनाफा उत्पादन लागत पर भेज रहे हैं।
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