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बोले राज्यपाल..जरा बैठिए गांव के लोगों के साथ, मालूम कीजिए कैसे हैं उनके हाल

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adopted village

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रक्तिम तिवारी/अजमेर।

प्रदेश के विश्वविद्यालयों को अपने क्षेत्रों में गोद लिए गांव में कई कामकाज करने होंगे। विश्वविद्यालयों को गांवों में लघु एवं कौशल विकास प्रशिक्षण, बैंक और अन्य ऋण के लिए शिविर और अन्य कार्यक्रम चलाने होंगे। साथ ही विस्तृत रिपोर्ट बनाकर राजभवन को भेजनी होगी।

कुलाधिपति एवं राज्यपाल कल्याण सिंह ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को ढाई-ढाई साल के लिए दो गांव गोद लेने के निर्देश दिए हैं। इसकी अनुपालना में सभी विश्वविद्यालयों ने गांव गोद लेकर कामकाज कराया है। लेकिन कई विश्वविद्यालयों ने गांवों में रंगाई-पुताई, स्कूल में कम्प्यूटर-संसाधन मुहैया कराए हैं। जबकि राजभवन ने उन्हें नियमित कार्यक्रम कराने को कहा है।

विश्वविद्यालयों को दिया ये जिम्मा

विश्वविद्यालयों को गोद लिए गांव में लघु एवं कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने होंगे। साथ ही बैंक और अन्य ऋण के लिए शिविर लगाने होंगे। ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार/बदलाव पर रिपोर्ट बनानी होगी। इसके तहत सामाजिक, आर्थिक शैक्षिक उन्नयन, बिजली, पेयजल और चिकित्सा सुविधा, सड़क निर्माण, संचार सुविधाएं, डाक और बैंकिंग सुविधाओं की स्थिति शामिल होगी

करना होगा नियमित दौरा
राजभवन ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षकों, अधिकारियों और चुनिंदा विद्यार्थियों को गांव का नियमित दौरा करने को कहा है। इस दौरान विद्यार्थी गांव में सरकार, जिला प्रशासन, पंचायत और अन्य संस्थाओं के माध्यम से हुए विकास कार्यों की रिपोर्ट तैयार करेंगे। ग्रामीणों से मिलने वाले फीडबैक को रिपोर्ट में शामिल करेंगे। बाद में इसे राजभवन को भेजा जाएगा।

लिया है नरवर गांव गोद..

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने नरवर गांव को गोद लिया है। विश्वविद्यालय ने गांव के माध्यमिक स्कूल और अन्य भवनों पर गुलाबी रंग कराया है। स्कूल के सामने 5 हजार लीटर की पानी की टंकी रखवाई गई है। गांव की उजाड़ वाटिका की चारदीवारी बनवाई जा रही है। लेकिन अन्य गांवों-शहरों की तरह यहां कई जगह गंदगी भी कायम है। कई जगह कच्ची सड़कें हैं। मालूम हो कि वर्ष 2015 में विश्वविद्यालय ने मुहामी गांव गोद लिया था। राज्यपाल कल्याण सिंह ने गांव का दौरा भी किया था। यहां भी स्कूल भवन, पंचायत और सार्वजनि भवन के रंग-रोगन और अन्य कार्य ही कराए गए थे। कई काम जिला प्रशासन स्तर की परिधि में होने से नहीं हो पाए थे।


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