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कानूनी पाबंदियां जीर्णोद्धार में बाधक पुष्कर में ब्रह्मा का सतयुगी मंदिर स्थापित है। आदि शंकराचार्य की ओर से पूजित ब्रह्मा मंदिर में कई दशकों तक महंताई आधिपत्य के कारण विकास नहीं हो पाया। लाखों रुपए का चढ़ावा खुर्दबुर्द करना उजागर हुआ लेकिन केंद्रीय पुरातत्व विभाग की ओर से मंदिर को संरक्षित किए जाने के बाद से लेकर हजारों वर्ष पुराने मंदिर परिसर की दुर्दशा होती ही जा रही है। हालत यह है कि मंदिर परिसर जगह-जगह से जर्जर हो चुका है। ब्रह्मा मंदिर के गर्भगृह, मूर्ति के ऊपर बना स्तूप व इसके छज्जे जर्जर हो गए है। गणेश मंदिर के सामने तिबारे का छज्जा गिर चुका है। परिक्रमा में देवी मंदिर के सामने की जमीन धंसने लगी है। मंदिर की दीवारें टूटने लगी हैं इस मंदिर की परिक्रमा बंद कर दी गई है। मंदिर की किलेनुमा चारदीवारी पूरी तरह से जर्जर होने लगी है। रसोईघर की छत जानलेवा बनी हुई है। जर्जर मंदिर का पुनरूद्धार नहीं कराए जाने की स्थिति में बड़ा हादसा होने से इन्कार नही किया जा सकता है। यह भी पढ़ें
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शंकराचार्य ने कराई पहली बार मरम्मत पुजारी लक्ष्मी नारायण वशिष्ठ की मानें तो सवंत 713 में सर्वप्रथम आदिशंकराचार्य ने इसके बाद जोधपुर के राजा परिहार तथा गोकुल चंद पारीक की ओर से मंदिर की मरम्मत कराने का प्रमाण है इसके बाद मंदिर में कोई मरम्मत नहीं हुई। इनका कहना है मंदिर का परकोटा पुराने चूने का बना होने से जर्जर व कमजोर हो रहा है। शिखर की परतें उखड़ रही हैं। गर्भ गृह के ऊपरी शिखर खोखला है। देवी मंदिर की नींवें कमजोर हैं। विशेषज्ञों की राय से शीघ्र मरम्मत नही कराने पर हादसा हो सकता है।
– लक्ष्मी निवास वशिष्ठ, पुजारी ब्रह्मा मंदिर मंदिर में कई जगह हुई टूट-फूट की मरम्मत करानी है। इसके लिए केंद्रीय पुरातत्व विभाग से कुछ कार्य कराने की अनुमति ले ली है। – विश्वमोहन शर्मा, जिला कलक्टर एवं अध्यक्ष ब्रह्मा मंदिर अस्थायी प्रबंध कमेटी