बीती 16 नवम्बर को मेला मैदान में झंडारोहण करने के साथ ही प्रशासनिक व्यवस्थाएं प्रारंभ हो गई थी। धीरे-धीरे मेला शबाब पर है। दूरस्थ इलाकों से आए अश्वपालक और ऊंट के व्यापारी मोलभाव में लगे हैं। धोरों पर विदेशी और देशी पर्यटकों की तादाद भी बढ़ रही है।
कहीं ऊंट गाड़ी में बैठकर पुष्कर की परिक्रमा हो रही है। कहीं-कहीं विदेशी पर्यटक धोरों में देशी लोगों के साथ राजस्थान की दाल-बाटी, चूरमा और कैर-सांगरी की सब्जी का लुत्फ उठा रहे हैं। यह मेला 24 नवम्बर तक चलेगा।
मेला मैदान में अब तक करीब 4 हजार से ज्यादा ऊंटों की आवक हो चुकी है। पशुपालकों ने धोरों में ही डेरा जमाया है। मनोरंजन के लिए सर्कस, झूले लगाए गए हैं। कपालेश्वर महादेव मंदिर तिराहे से लेकर पूरे मेला मैदान में दुकानें सज चुकी हैं।
इनमें कपड़े, तलावार, लाठी, पशुओं के श्रंगार के सामान, घरेलू सामग्री, कप-प्लेट, खिलौने की दुकान शामिल है। मेला स्टेडियम के पीछे इस बार भी घोड़ों की खरीद-फरोख्त के लिए अस्तबल सजा है। इसके अलावा पशुपालन विभाग, चिकित्सा विभाग सहित अन्य महकमों ने विशेष कैंप लगाए हैं। मेले में लोगों को सात दिसम्बर को मतदान करने की महत्ता भी बताई जा रही है।