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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बार-बार पगफेरे का ‘राज’ क्या?

Rajasthan Assembly Election 2023: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 35 दिन में तीसरी बार शुक्रवार को अजमेर दौरे पर आए। सीएम के पगफेरे बढ़ने से भाजपायी तो अचम्भित हो ही रहे हैं, राजनीति के गुणीजन भी इन पगफेरों का ‘राज’ पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

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अनिल कैले
Rajasthan Assembly Election 2023 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 35 दिन में तीसरी बार शुक्रवार को अजमेर दौरे पर आए। सीएम के पगफेरे बढ़ने से भाजपायी तो अचम्भित हो ही रहे हैं, राजनीति के गुणीजन भी इन पगफेरों का ‘राज’ पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक हलकों के लोगों का मानना है कि सरकार रिपीट होने का दावा कर रहे मुख्यमंत्री गहलोत राजनीतिक रूप से कमजोर अजमेर जिले में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए अपने ‘हमदर्दों’ के सहारे सियासी जमीन को उपजाऊ बनाने में जुटे हैं। नए ध्रुवीकरण में जुटे ये ‘हमदर्द’ अपने प्रयास में सफल हो जाएं, इसीलिए सीएम बार बार अजमेर का रुख कर रहे हैं।

गहलोत एक अप्रेल को जवाहर स्कूल में पार्टी के संभाग स्तरीय सम्मेलन में शामिल हुए। इसके बाद 21 अप्रेल को चन्दवरदायी खेल स्टेडियम में संभाग स्तरीय मेगा जॉब फेयर में शामिल हुए। शुक्रवार को उन्होंने महंगाई राहत कैंप के लाभार्थियों को गारंटी कार्ड प्रदान करने के साथ एलिवेटेड रोड की दूसरी भुजा का लोकार्पण किया।

अजमेर जिले की आठ सीटों में से कांग्रेस के पास केवल दो सीटें हैं। मसूदा और केकड़ी। माना जा रहा है कि केकड़ी सीट को कायम रखने में पार्टी को काफी जोर आने वाला है। मसूदा की कुछ तहसीलों के लोग नवगठित होेने वाले ब्यावर जिले में शामिल होने को तैयार नहीं हो रहे। किशनगढ़ के विधायक परोक्ष रूप से कांग्रेस का समर्थन करते रहे हैं। शेष पांच सीटों को हासिल करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।

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राजीतिक पंडितों का मानना है कि ऐसे हालात में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के प्रभाव वाले अजमेर जिले की चुनावी जंग जीतने के लिए ही गहलोत के ‘हमदर्द’ रात-दिन एक किए हुए हैं। दूसरी ओर सचिन पायलट की अजमेर के प्रति बेरुखी भी चर्चा का विषय बनी हुई है। लंबे समय से अजमेर शहर में किसी कार्यक्रम में पायलट शामिल नहीं हुए। गुटबाजी के चलते अभी तक जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। पार्टी का साधारण कार्यकर्ता असमंजस में है।


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