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किशनगढ़ में सिरेमिक की चमक, पुष्कर सरोवर में गंदगी की कसक

Rajasthan Assembly Election 2023: किशनगढ़-हनुमानगढ़ मेगा हाइवे पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर हिन्दी-अंग्रेजी में लिखे बोर्ड दुर्घटना के प्रति सावचेत करते हैं। इस मार्ग पर आए दिन होने वाले हादसों से लोग इसे 'हादसों का हाइवे' कहने लगे हैं।

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रमेश शर्मा
अजमेर. Rajasthan Assembly Election 2023: किशनगढ़-हनुमानगढ़ मेगा हाइवे पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर हिन्दी-अंग्रेजी में लिखे बोर्ड दुर्घटना के प्रति सावचेत करते हैं। इस मार्ग पर आए दिन होने वाले हादसों से लोग इसे 'हादसों का हाइवे' कहने लगे हैं। सीकर से वाया कुचामन-अजमेर की सीमा में प्रवेश करते हुए पुष्कर विधानसभा का पहला कस्बा रूपनगढ़ है। यहां एक होटल पर लोगों से चर्चा हुई तो समझ आया कि हाइवे के हादसे बड़ा मुद्दा है। व्यापारी सुरेन्द्र सिंह ने बताया लम्बे समय से ट्रोमा सेंटर की दरकार है। पुष्कर के साथ सालासर धाम, खाटूश्यामजी, निम्बार्क तीर्थ, तेजाजी महाराज का समाधिधाम सुरसुरा इसी मार्ग पर हैं। इससे वाहनों का दबाव ज्यादा है। रामजीवन ने कहा, राहत कैंप चुनावी हथकंडे हैं। जबकि संतोष और हरजी जाट ने कहा सरकार की योजनाएं अच्छी हैं। मार्बल कारोबारी ओमप्रकाश ने बताया कि मार्बल और नमक ही रोजगार देता है। गांवों में नमक उत्पादन कर शोधन के लिए नावां की रिफायनरी में भेजा जाता है।

रूपनगढ़ से बाहर निकलते ही किशनगढ़ विधानसभा लगती है। निम्बार्कधाम के कार्यालय में ऋषि कुमार जसरावत से चर्चा की। उनकी वेदना थी कि प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं। कई मौकों पर भीड़ उमड़ती है, लेकिन यहां भीषण जलसंकट है। कई बार 5 से 7 दिन में जलापूर्ति होती है। निम्बार्क बांध (सिंगला बांध) बनाए तीस साल हो गए, लेकिन कभी पानी नहीं आया। रूपनगढ़ नदी क्षेत्र में अतिक्रमण ने पानी के रास्ते बंद कर दिए। यहां से मार्बल मंडी किशनगढ़ पहुंचा तो सेरेमिक की चकाचौंध नजर आई। अच्छी फिनिशिंग, लुक और कम लागत के दम पर ग्रेनाइट एक दशक से पैर जमाए हुए है। इसकी पांच सौ से अधिक इकाइयां हैं। चार-पांच साल में सेरेमिक टाइल्स भारी पड़ रही है। मार्बल व्यवसायी सुनील दरडा ने उतार-चढ़ाव के दर्द को साझा करते हुए बताया, मोरबी की टाइल्स ने मार्बल की चमक फीकी कर दी है। जबकि कच्चा माल किशनगढ़ से ही जाता है।

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उद्योग को मदद की दरकार है। यहां मंडी से जुड़े 40 हजार श्रमिकों के लिए अस्पताल खुल गया है। 'राजस्थान का स्विट्जरलैंड' मार्बल नगरी का नया परिचय है। यहां का स्लरी डम्पिंग यार्ड तेजी से बढ़ता टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। मार्बल एसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर जैन बताते हैं, स्लरी की डम्पिंग यार्ड के लिए हमें जगह चाहिए थी। सरकार ने 322 बीघा क्षेत्र आवंटित किया। यहां स्लरी ने सूखकर पहाड़ों की शक्ल ले ली। इसके बीच जमा बारिश का पानी नीला दिखता है और आइसलैंड सा आभास देता है। रील बनाते युवाओं और फोटो खिंचवाती टोलियों को देखकर समझ सकते हैं कि यह खूबसूरती बेहद लुभाती है। अब इसे 'स्नो यार्ड' नाम देकर झूले, बगीचा, फूडकोर्ट विकसित किया जा रहा है। यहां घोड़े पर फोटो शूट कराने वाले नन्दलाल और आइसक्रीम विक्रेता गौतम दाधीच ने बताया कि बिजली के बिल तो माफ नहीं हुए।

अनिल कुमार और नवल किशोर शर्मा ने गुंदोलाव झील को लेकर कहा, कभी इसमें सिंघाड़े की खेती होती थी। अनदेखी से नालों का गंदा पानी झील को प्रदूषित कर रहा है। दीपक बंजारा कहते हैं क्लीन सिटी सपना ही है। तीर्थनगर पुष्कर पहुंचा तो तीर्थ पुरोहितों ने दर्द बयां करते हुए कहा, सीवरेज का गंदा पानी सरोवर में जाने से आस्था से खिलावाड़ हो रहा है। नगर पालिका अध्यक्ष शिवस्वरूप महर्षि मानते हैं कि पुष्कर के धार्मिक महत्व के अनुरूप विकास नहीं हुआ है। जोरावर सिंह कहते हैं कि सरकार की अनदेखी दर्द दे रही है। पुरोहित राहुल पराशर की राय में तीर्थराज के विकास के लिए कोरिडोर बनना जरूरी है। सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पुरोहित मानते हैं कि अन्य तीर्थ स्थलों जैसी सुविधाओं पर ध्यान दें तो रोजगार बढ़ेगा।

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