
अजमेर। विभाजन के बाद अजमेर में आकर बसे सिंधी समाज का अजमेर उत्तर सीट पर हमेशा से वर्चस्व रहा है। वर्ष 1998 तक ये सीट अजमेर पश्चिम के नाम से जानी जाती थी। शरणार्थी के तौर पर आए सिंधी समाज की इस सीट पर तूती बोलती है।
आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि अब तक हुए 14 विधानसभा चुनावों में अजमेर पश्चिम और अब परिसीमन के बाद अजमेर उत्तर सीट से सिंधी समाज का विधायक निवाचित होता आया है। 2,02,163 वोटरों वाली अजमेर उत्तर सीट में लगभग 35 हजार सिंधी वोटर हैं। सिंधी मतदाताओं की संख्या को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस सिंधी प्रत्याशियों पर ही दावं लगाने को जीत का फॉर्मूला मानती हैं।
तीन बार मिली चुनौती
सिंधी समाज के वर्चस्व वाली इस सीट पर अब तक तीन बार गैर सिंधी को टिकट देकर प्रयोग भी किया जा चुका है लेकिन सफलता नहीं मिली। तत्कालीन अजमेर पश्चिम सीट पर 1962 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सिंधी उम्मीदवार के सामने जनसंघ ने चिरंजीलाल को टिकट दिया। गैर सिंधी को टिकट देने का यह पहला प्रयोग विफल रहा और चिरंजीलाल साढ़े आठ हजार वोटों से चुनाव हार गए। परिसीमन के बाद अजमेर उत्तर हुई इस सीट पर वर्ष 2008 और 2013 में भाजपा के सिंधी उम्मीदवार वासुदेव देवनानी के सामने कांग्रेस ने गैर सिंधी उम्मीदवार डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को उतारा। दोनों ही बार कांग्रेस के डॉ. बाहेती को हार का सामना करना पड़ा।
मिला मंत्री पद
अजमेर से निर्वाचित दो सिंधी विधायक मंत्री भी बने। मौजूदा विधायक एवं शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी 2003 में भी शिक्षा राज्य मंत्री रह चुके हैं। सिंधियों के कद्दावर नेता किशन मोटवानी 1998 में राज्य में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह है अब तक के सिंधी विधायक
वर्ष - विस क्षेत्र - विधायक
1957 - अजमेर पश्चिम - अर्जुनदास
1962 - अजमेर पश्चिम - पोहूमल
1967 - अजमेर पश्चिम - भगवानदास शास्त्री
1972 - अजमेर पश्चिम - किशन मोटवानी
1977 - अजमेर पश्चिम - नवलराय बच्चानी
1980 - अजमेर पश्चिम - भगवानदास शास्त्री
1985 - अजमेर पश्चिम - किशन मोटवानी
Updated on:
03 Oct 2018 11:47 am
Published on:
03 Oct 2018 11:39 am
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