
nasirabad seat
भाूपेन्द्र सिंह/अजमेर।
जिले का नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र राज्य के उन क्षेत्रों में शामिल है जहां भाजपा कांग्रेस का तिलिस्म नहीं तोड़ पा रही है। पिछले 38 सालों में भाजपा इस क्षेत्र में सिर्फ एक बार काबिज हुई वह भी मात्र 6 माह के लिए। कांग्रेसी दिग्गज दिवंगत गोविंद सिंह गुर्जर बाबा के नाम से इस सीट को जाना जाता है। नसीराबाद विधानसभा सीट आजादी के बाद से अब तक ज्यादातर समय कांग्रेस के कब्जे में रही है। वर्ष 1977 में आपात काल के बाद जब कोई नेता यहां से कांग्रेस के टिकट पर लडऩे को कोई तैयार नहीं था तब वहां से गोविंद सिंह गुर्जर को यहां प्रत्याशी बनाया गया है। हालांकि पहले चुनाव में गुर्जर को जनता पार्टी के भंवर लाल एरन ने 139 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन जल्द ही 1980 में फिर चुनाव हुए और फिर उसके बार गुर्जर ने इतिहास रच दिया। गुर्जर ने 1980, 85, 90, 93, 98 और 2003 तक लगातार विधानसभा चुनाव जीता और भाजपा को उनका तोड़ ढूंढना मुश्किल हो गया। वर्ष-2008 में परिसीमन के बाद भिनाय सीट समाप्त हो जाने से भाजपा के दिग्गज नेता दिवंगत सांवर लाल जाट यहां चुनाव लडऩे आए ल्ेकिन उन्हें गुर्जर के ममेरे भाई महेन्द्र सिंह गुर्जर के हाथों 71 मतों से शिकस्त झेलनी पड़ी। वर्ष- 2013 में मोदी लहर के चलते सांवर लाल जाट ने 28900 मतों के भारी अंतर से जीत दर्ज की लेकिन उनके लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद मात्र 6 महीने में ही उपचुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर जीत दर्ज की। कांग्रेस के राम नारायण गुर्जर ने भाजपा की सरिता गैना को हराया।
5 बार एक फीसदी से भी कम रहा जीत हार का अंतर
नसीराबाद सीट पर 2014 के उप चुनाव में हार-जीत का अंतर 386 यानी 0.29 फीसदी रहा। 2008 में 71 वोटों से जीत-हार का प्रतिशत 0.06 प्रतिशत रहा। 2003 में जीत का अंतर 453 यानी 0.5 प्रतिशत रहा। वर्ष 1993 में 42 वोटों के अंतर से हार-जीत हुई और प्रशित 0.06 रहा। वर्ष 1977 में 139 वोटों से हार-जीत हुई और अंतर केवल 0.36 प्रतिशत रहा। वर्ष 1998 में हार जीत का अंतर 3175 यानी 4.08 प्रतिशत रहा।

Published on:
03 Nov 2018 09:28 am
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