21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan Monsoon: राजस्थान के इस जिले में 9 बांध ओवरफ्लो, 38 साल में पांचवीं बार छलका लसाड़िया बांध

Rajasthan Monsoon: केकड़ी जिले में भारी बारिश से जलाशयों में हुई पानी की आवक, 2 और बांध छलकने के कगार पर

3 min read
Google source verification

Rajasthan Monsoon 2024: केकड़ी जिले में भारी बारिश के बीच एक और अच्छी खबर यह है कि यहां के 21 बांध में से 9 ओवरफ्लो हो गए हैं। जिले का महत्वपूर्ण लसाड़िया बांध भी ओवरफ्लो होकर लगातार छलक रहा है। खास बात यह है कि केकड़ी जिले में शामिल टोडा का टोरडी सागर 28 साल बाद छलका है।

इससे पहले यह बांध वर्ष 1996 में छलका था। तब से बहाव क्षेत्र में पानी की आवक पर्याप्त नहीं हो पाने के कारण यह जल स्रोत कभी भर नहीं पाया था, लेकिन इस बार अच्छी बारिश और बहाव क्षेत्र में लगातार फ्लो बने रहने के कारण यह बांध छलक गया। जिले के सिंचाई विभाग के अंतर्गत यह 21 बांध और जल स्रोत सिंचाई के प्रमुख साधन के रूप में काम आते हैं। लगातार बारिश और पानी की आवक होने से रबी फसल के सीजन में भी किसानों को संबल मिलेगा। फिलहाल खरीफ की फसल के लिए बारिश की मेहरबानी जारी है। राजस्थान के केकड़ी जिले में 511 एमएम बारिश हो चुकी है।

5 वर्ष पूर्व छलके था यह बांध

केकड़ी क्षेत्र का प्रमुख 3.43 मीटर भराव क्षमता का लसाड़िया बांध वर्ष 2019 में ओवरफ्लो हुआ था। 10.6 फीट भराव क्षमता का पारा प्रथम, 8 फीट भराव क्षमता का पारा द्वितीय, 3.10 मी भराव क्षमता का नाहर सागर पिपलाज भी वर्ष 2019 में ओवरफ्लो हुआ था। वही वर्ष 2022 में 3.5 मीटर भराव क्षमता का बिसुन्दनी बांध और 5.92 फीट भराव क्षमता का आंबापुरा बांध ओवरफ्लो हुआ था।

इन बांधों में भी हो रही है अच्छी आवक

केकड़ी जिले के प्रमुख जल स्रोतों में शामिल मान सागर जोताया, सरवाड़ के बांके सागर, गज सागर, झड झोडली, सिन्दूर सागर, भगवन्तिया तालाब, गोविन्द सागर, विजय सागर, देह सागर बडली, बिसुन्दनी, नाहर सागर पिपलाज, पारा प्रथम में भी पानी की अच्छी आवक हो रही है। पारा प्रथम 94% और विजय सागर 88% भर चुका है।

मानसून की मेहरबानी

केकड़ी क्षेत्र में इस बार मानसून की जमकर मेहरबानी रही। इसके चलते केकड़ी उपखंड़ क्षेत्र का सिंचाई परियोजना वाला सबसे बड़ा लसाड़िया बांध पांचवीं बार छलका है। लसाड़िया बांध की सोमवार देर रात चादर चल गई, जिससे डाई नदी तूफान पर आ गई। बांध की भराव क्षमता 406 एमसीएफटी पानी की है। जो कि पूरी भराव क्षमता पर है। यह बांध 16 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है। बांध पर इस साल 5 इंच की चादर चली है। इससे पहले वर्ष 2019 में 1 फीट की चादर चली थी। इस बांध की वर्ष 2022 में भी चादर चली तथा 2023 में बिपरजॉय तूफान के चलते बांध लबालब हो गया, लेकिन नहरों में पानी छोड़ने के चलते चादर नहीं चल सकी। अंबापुरा बांध की करीब ढाई फीट चादर के चलते लसाड़िया बांध में पानी की भारी आवक हो रही है।

वर्ष 1986 में बनकर तैयार हुआ था बांध

लसाड़िया बांध का निर्माण 1980 में शुरू हुआ तथा 1986 में कार्य पूरा हुआ। इस बांध का मुख्य उद्देश्य बीसलपुर बांध के फ्लड कंट्रोल और सिंचाई के लिए है। बीसलपुर बांध के कैचमेंट एरिया में करीब आधा दर्जन बांध केकड़ी क्षेत्र में बनाए गए हैं, जिससे कि एकदम भारी बारिश हो तो बीसलपुर बांध में अचानक पानी की आवक ना हो पाए। इसके लिए फ्लड कंट्रोल के तहत छह बांध केचमेंट एरिया में बनाए गए थे। लसाड़िया बांध की चादर 335 मीटर की है। इसके अलावा इस बांध का केचमेंट एरिया नसीराबाद, भिनाय और सरवाड़ क्षेत्र है। बांध में पानी की मुख्य आवक डाई नदी से होती है।

चादर चलने से रविवार देर रात बंद हुआ मार्ग

लसाड़िया बांध जयपुर-भीलवाड़ा राजमार्ग से कुछ ही दूरी पर धुवांलिया गांव के पास बना हुआ है। जिसके चलते इस बांध की चादर चलने से भीलवाड़ा-जयपुर राजमार्ग रविवार देर रात से ही बंद है। ज्ञात रहे की वर्ष 2019 में बांध की चादर चलने से सड़क मार्ग पर पानी भर जाने से 18 दिन तक उक्त मार्ग बंद रहा। इसके अलावा वर्ष 2014 में भी बांध की चादर चलने से मार्ग बंद रहा था। लसाड़िया बांध से सिंचाई के लिए एक कैनाल बनी हुई है। जो करीब 15 किलोमीटर लंबी है। इस बांध से ग्राम धुंवालिया, जाल का खेड़ा, जूनियां, छाबड़िया, लसाड़िया, देलिया, कणोंज, केसरपुरा व बघेरा की 2080 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई होती हैं।

बांध का जल ग्रहण क्षेत्र

अरांई क्षेत्र के मुंडोती बांध, सुखसागर, सुकईसागर, मदन सरोवर, अंबापुरा, अजगरा बांध एवं ताज सरोवर में पानी ओवरफ्लो होने के बाद लसाड़िया बांध में पानी की आवक होती है।

इनका कहना है
केकड़ी जिले के ज्यादातर जल स्रोतों में अच्छी आवक हो गई है। 9 बांध छलक चुके हैं। वहीं अन्य में भी लगातार पानी बढ़ रहा है। केकड़ी जिले का टोरडी सागर 28 साल बाद ओवरफ्लो हुआ है।

  • अनिल मीणा, कनिष्ठ अभियंता सिंचाई विभाग

यह भी पढ़ें- पलंग, के पायों के नीचे ईंटें लगा कर बढ़ाई ऊंचाई, प्रथम मंजिल पर खाना पकाया