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RBSE-रद्दी घोटाले ने कराई किरकिरी, डेढ़ साल बाद हुआ ये खास फैसला

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paper scam in board

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अजमेर.

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के डेढ़ वर्ष पुराने बहुचर्चित लाखों के रद्दी घोटाले के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट की न्यायाधीश सबीना ने आरोपित तीन बोर्ड कर्मचारियों की जमानत मंजूर कर ली। आरोपित करीब डेढ़ वर्ष से जेल में थे।

यह घोटाला खासा चर्चा मेंं रहा। इसमें बोर्ड की रद्दीे को मिली भगत कर कम तौल का बताते हुए लाखों रुपए के गबन का आरोप है। बोर्ड प्रशासन को इसके लिए तीन सद्स्यीय कमेटी का गठन भी करना पड़ा था।

मामले में आरोपित अरविंद शर्मा, दिनेश जैन व गोवर्धन पांड्या को अदालत ने जमानत पर रिहा करने केआदेश दिए। आरोपित गोरधन पांड्या की पैरवी उमरदान लखावत, अरविंद शर्मा की पैरवी अनिल नाग, दिनेश जैन की पैरवी प्रीतम जिनेश सोनी, इरशाद की पैरवी अजय वर्मा व अंसारी की पैरवी वकील अब्दुल रशीद ने की।
ये है मामला

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने वर्ष 2015 की उत्तर पुस्तिकाओं की रद्दी को वर्ष 2017 में बेचने की निविदा की। इस रद्दी का वजन 555 मैट्रिक टन था। मुरादाबाद की मल्टीपल ट्रेड पेपर फर्म के नाम निविदा खोली गई। 1.19 करोड़ का टेंडर था लेकिन बोर्ड को 48 लाख रुपए की राशि ही मिली जब बिकने गई तो इसका तौल 225 मैट्रिक टन ही निकला।

प्रकरण में 75 लाख रुपए का गबन निकला। बोर्ड सचिव मेघना चौधरी ने विधि अधिकारी अनिल गुप्ते, जनंसपर्क निदेशक राजेन्द्र गुप्ता, विशेषाधिकारी प्रिया भार्गव व वित्तीय सलाहकार आनंद आशुतोष को कमेटी में शामिल किया गया।

कमेटी ने तौल में वजन में गड़बडिय़ां पाई गईं। इस मामले में फर्म के कर्मचारियों इरशाद व अंसारी को भी आरोपित बनाया। आरोपितों पर आगरा व उत्तराखंड में भी इस प्रकार रद्दी के तौल में घालमेल करने के मामले दर्ज हैं। अदालत ने पांचों आरोपितों की जमानत मंजूर कर ली।