
ACB Action-रिश्तेदारों के खातों में होती थी वसूली की रकम ट्रांसफर
अजमेर. बंदियों को सेन्ट्रल जेल अजमेर (Ajmer central jail)की बैरक में दी जाने वाली सुविधाओं व यातनाएं न देने के बदले परिजन से वसूली जाने वाली रकम नाते-रिश्तेदारों के बैंक खाते में डाली जाती थी। बैंक खाते में रकम डालने के साथ ही जेलर जसवंत सिंह उसे अपने 'आकाÓ व 'मातहतोंÓ तक पहुंचा देता था।
एसीबी अजमेर स्पेशल चौकी ने दो माह के अनुसंधान में जेल में उपजे सुविधा शुल्क खेल में अब तक 35 खातों में से 28 को खंगाल चुकी है। इन खातों का संचालन हत्या के मामले में सेन्ट्रल जेल में छोटे भाई और पिता के साथ आजीवन कारावास की सजा काट रहा शैतान सिंह करता था। उसके इशारे पर अनिल सिंह और राजेन्द्र बंदियों के परिजन से रकम वसूली करते थे।
खाते में मामूली रकम
अनुसंधान अधिकारी पारसमल ने बताया कि कार्रवाई के दौरान बैंक खातों में मामूली रकम मिली। जेलर जसवंत सिंह को कार्रवाई का आभास हो गया। वह खातों में डाली गई रकम को तुरन्त ठिकाने लगा देता था। अजमेर सेंट्रल जेल में की गई वसूली में सजायाफ्ता कैदी रिश्तेदारों के बैंक खातों में डलवाई जा रही थी।
एप के जरिए ट्रांजेक्शन
एसीबी अनुसंधान में सामने आया कि बैंक खातों में किया गया ट्रांजेक्शन विभिन्न एप के जरिए किया गया। इस ट्रांजेक्शन का डेटा आरबीआई के क्षेत्रीय मुख्यालय में होता है, जिसको हासिल करने के लिए एसीबी को खासी मशक्कत करनी पड़ी। एसीबी के पास शैतान सिंह, जेलर जसवंत सिंह, अनिल, राजेन्द्र सिंह की बातचीत की क्लिप भी है।
साले के खाते का इस्तेमाल
पड़ताल में आया कि सजायाफ्ता बंदी शैतान सिंह ने बंदियों से वसूली जाने वाली रकम के लिए अपने साले सीताराम चौधरी समेत 35 बैंक खातों में की गई। इसमें सीताराम के अलावा अनिल, राजेन्द्र, शैतान जैसे नाम शामिल हैं।
चेहरे पर नहीं शिकन
जेल में भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी की गिरफ्त में आए जेलर जसवंत सिंह के चेहरे पर तनिक भी शिकन नहीं नजर आई। मीडिया के समक्ष फोटो खिंचवाने और अदालत में पेशी पर जाने के दौरान भी जसवंत सिंह, अनिल एवं राजेन्द्र हंसते हुए निकले। तीनों की यह हरकत एसीबी कोर्ट के बाहर मौजूद लोगों में चर्चा का विषय रही।
Published on:
20 Sept 2019 04:30 am
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