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RPSC: कमीशन तय करेगा आरएएस प्री. परीक्षा का भविष्य, मुश्किल है परीक्षा होना

ना स्थाई अध्यक्ष ना किसी सदस्य को कार्यवाहक प्रभार दिया है।आरएएस प्रारंभिक जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा कराना आसान नहीं है।

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rpsc exam 2018

rpsc exam 2018

अजमेर. राजस्थान लोक सेवा आयोग की आरएएस एवं अधीनस्थ सेवाएं (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा सीधी भर्ती)-2018 को लेकर असमंजस की स्थिति है। फुल कमीशन की बैठक में परीक्षा का भविष्य तय होगा। अध्यक्ष की गैर मौजूदगी और पेपर नहीं छपने जैसी तैयारियों को देखते हुए परीक्षा होना मुश्किल है।

आयोग को 5 अगस्त को आरएएस प्रारंभिक परीक्षा-2018 करानी है। इसके लिए करीब 5.10 लाख आवेदन मिले हैं। परीक्षा के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पूर्व अध्यक्ष डॉ. आर. एस. गर्ग के बाद आयोग में 2 मई से स्थाई अध्यक्ष नहीं है। सरकार ने ना स्थाई अध्यक्ष ना किसी सदस्य को कार्यवाहक प्रभार दिया है। ऐसे में आरएएस प्रारंभिक जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा कराना आसान नहीं है।

फुल कमीशन करेगा फैसला
आयोग में मौजूदा वक्त यहां सिर्फ छह सदस्य हैं। यह फुल कमीशन की बैठक बुलाएंगे। परीक्षा आयोजन में अब महज 23 दिन बचे हैं। प्रिंटिंग प्रेस से पेपर छपाई, उनकी बाइडिंग और परीक्षा केंद्रों तक उन्हें पहुंचाना मुश्किल है। परिस्थितियों को देखते हुए फुल कमीशन परीक्षा को लेकर बड़ा फैसला लेगा। मालूम हो कि पेपर प्रिंटिंग और अन्य कार्य बेहद गोपनीय होते हैं। स्थाई अथवा कार्यवाहक अध्यक्ष ही यह प्रक्रिया अंजाम देते रहे हैं।

अन्य परीक्षाओं पर भी संकट

आयोग को माध्यमिक शिक्षा विभाग के लिए प्रधानाध्यापक प्रतियोगी परीक्षा-2017 का आयोजन 2 सितम्बर को होगा। इसके लिए 97हजार 596 आवेदन मिले हैं। उप निरीक्षक (पुलिस) प्रतियोगी परीक्षा-2016 का आयोजन 7 अक्टूबर को किया जाएगा। इसमें 4 लाख 66 हजार 282 अभ्यर्थी शामिल होंगे। इन परीक्षाओं पर भी आरएएस प्री परीक्षा-2018 की तरह संकट बना हुआ है।

बदहाल इंजीनियरिंग कॉलेज, युवाओं के लिए नहीं खेल सुविधाएं

स्वास्थ्य और कॅरियर के लिहाज से खेलकूद बेहद जरूरी हैं। सरकार भी खेलों को बढ़ावा देने में जुटी है। लेकिन प्रतिवर्ष सैकड़ों टेक्नोक्रेट्स तैयार करने वाले शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज इस मामले में पीछे हैं। दोनों कॉलेज में खेल सुविधाओं का अभाव है। विकास शुल्क वसूलने वाला राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय भी ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा है

युवाओं के कॅरियर के लिहाज से आउटडोर और इन्डोर खेल जरूरी समझे जाते हैं। इनमें उच्च शिक्षण संस्थान की तरह मेडिकल, इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स भी शामिल हैं। शहर के बॉयज और महिला इंजीनियरिंग कॉलेज खेल सुविधाओं के मामले में स्कूल से भी पिछड़े है।

कैंपस में नहीं खेल मैदान

बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस में सुविधाओं युक्त खेल मैदान नहीं है। कॉलेज प्रतिवर्ष वार्षिक खेल रेलवे के कैरिज ग्राउन्ड या अन्यत्र करता है। अलबत्ता यहां सहायक खेल अधिकारी जरूर नियुक्त है। महिला कॉलेज कैंपस में भी भी खेल मैदान नहीं बनाया गया है। यहां बैडमिंटन कोर्ट और वॉलीबॉल खेलने की सुविधा उपलब्ध है। फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी जैसे आउटडोर गेम्स के लिए दोनों कॉलेज में मैदान नहीं हैं।

यूनिवर्सिटी वसूलती विकास शुल्क

प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों की तरह राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी भी विद्यार्थियों से विकास शुल्क वसूलती है। इसका आशय कॉलेज में भवनों के अलावा खेल सुविधाओं का विकास करना भी है। फिर भी दोनों कॉलेज खेल सुविधाओं के मामले में पिछड़े हुए हैं। टेक्नोक्रेट्स के लिए अन्तर कक्षा स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता ही होती हैं। यहां जिला, राज्य अथवा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का कभी आयोजन नहीं हुआ है।


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