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RPSC: फरवरी से मई तक चलेगा परीक्षाओं का दौर

आयोग में फरवरी से मई तक परीक्षाओं का दौर चलेगा। उधर साक्षात्कार का दौर अंतिम चरण में है।

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rpsc recruitment exam

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अजमेर. राजस्थान लोक सेवा आयोग में फरवरी से मई तक परीक्षाओं का दौर चलेगा। उधर साक्षात्कार का दौर अंतिम चरण में है। सोमवार के बाद 9 फरवरी को साक्षात्कार कराए जाएंगे।

राज्य के विभिन्न विभागों की भर्तियों के लिए आयोग में 5 जनवरी से साक्षात्कार का दौर शुरू हुआ था। इनमें वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी भर्ती के 23 पदों, पुस्तकालयाध्यक्ष द्वितीय श्रेणी (भाषा एवं पुस्तकालय विभाग) के 12 पदों, वस्त्र की रंगाई व छपाई (कॉलेज शिक्षा विभाग) के पदों के लिए साक्षात्कार कराए थे। कनिष्ठ विधि अधिकारी (विधि एवं विधिक कार्य विभाग) भर्ती के साक्षात्कार सोमवार को पूरे हो जाएंगे।

फरवरी से परीक्षाओं का दौर
18 से 26 फरवरी तक सहायक वन संरक्षक एवं वन रेंज ऑफिसर ग्रेड प्रथम (वन विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2018 का आयोजन होगा। इसके बाद 12 से 19 मार्च तक प्रवक्ता तकनीकी शिक्षा विभाग की परीक्षा होगी। इसके अलावा 4 से 11 अप्रेल और 28 अप्रेल से 2 मई तक सहायक आचार्य (कॉलेज शिक्षा विभाग) की परीक्षा होगी।

आरएएस साक्षात्कार का इंतजार
आरएएस-2018 की मुख्य परीक्षा में दो गुणा अभ्यर्थियओं को उत्तीर्ण करने से जुड़ी कविता गोदारा की याचिका पर हाईकोर्ट ने पदों के न्यूनतम अर्हता अंक तय करने और दो गुणा अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाने के आदेश दिए हैं। पूर्व में घोषित मुख्य परीक्षा परिणाम को रद्द किया है। आयोग ने इसको लेकर खंडपीठ में अपील की है।

धड़ेबंदी में घिरी, तो फिर अजमेर में गिरी कांग्रेस

रक्तिम तिवारी/अजमेर. नगर निगम चुनाव में जिताऊ प्रत्याशी की अनदेखी, अंदरूनी फूट और संगठन की कमी कांग्रेस पर भारी पड़ी। केंद्र में सरकार होने और संगठित होकर चुनाव लडऩे का भाजपा को जबरदस्त फायदा मिला। चुनाव से पहले स्थानीय कांग्रेसियों को एक जाजम पर लाने के पर्यवेक्षकों के दावे खोखले साबित हो गए। टिकट वितरण में कुप्रबंधन और धड़ेबंदी के चलते कांग्रेस नगर निगम में सातवीं बार बोर्ड बनाने में नाकाम रही। साफतौर पर यह कांग्रेस के तगड़ा झटका है।

कांग्रेस में प्रत्याशियों से आवेदन लेने और पैनल सौंपने से चली अंदरूनी फूट 28 जनवरी को मतदान तक चरम पर पहुंच गई। कांग्रेस के विभिन्न संगठनों में बरसों से सेवाएं देने वाले कार्यकर्ताओं के टिकट कटे तो उन्होंने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। ज्यादातर वार्ड में कांग्रेस प्रत्याशियों को भीतरघात, टिकट वितरण में गड़बड़ी और कार्यकर्ताओं की बेरूखी का जबरदस्त नुकसान हुआ। बागी-निर्दलीय प्रत्याशियों ने समीकरण बिगाडऩे में कसर नहीं छोड़ी। इसके चलते चुनावी समीकरण बदल गए।

अपनी गलती से खोया वार्ड 29
नामांकन के दौरा कांग्रेस में असमंजस की स्थिति रही। सिम्बल के बगैर विभिन्न वार्डों से प्रत्याशी नामांकन करने पहुंच गए। वार्डवार दावेदारी की तस्वीर साफ नहीं होने से कांग्रेस की अधिकृत सूची भी अटकी रही। कांग्रेस ने प्रत्याशी नेहा से वार्ड 41 से पर्चा भराया जबकि सिंबल वार्ड 29 से दिया। यहां ना कांग्रेस ना निर्दलीय प्रत्याशी होने से भाजपा की हेमलता लालवानी निर्विरोध जीत गई।

मुस्लिम क्षेत्र में नहीं दिए टिकट...
कांग्रेस ने अंदरकोट-दरगाह क्षेत्र के वार्ड 11, 12 और 13 में प्रत्याशी ही नहीं उतारे। पहली बार अल्पसंख्यकों की कांग्रेस के प्रति नाराजगी रही। मुस्लिम समुदाय की दूरी कांग्रेस पर भारी पड़ी। इसका असर रातीडांग-चौरसियावास, लोहाखान, खानपुरा इलाके तक पड़ा। जबकि कांग्रेस के पास मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में कई योग्य प्रत्याशी मौजूद थे।