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SAVE EARTH: सिर्फ आदतें बदलने की जरूरत, बढ़ा सकते हैं धरती पर हरियाली

साल 2020 की पर्यावरण दिवस थीम भी इट्स टाइम फॉर नेचर रखा गया है।

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रक्तिम तिवारी/चंद्र प्रकाश जोशी/अजमेर.

अजमेर धीरे-धीरे प्रदूषित शहर बन रहा है। तालाबों-झीलों में कचरा-रसायन घुलना और वाहनों का धुआं लोगों को बीमार बना रहा है। इसके उलट लॉकडाउन ने पर्यावरण को जबरदस्त फायदा पहुंचाया है। लोगों को स्वच्छ हवा, हरियाली, शोर-शराबे से निजात मिली। हम अपनी आदतों में बदलाव करें तो धरती को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं। साल 2020 की पर्यावरण दिवस थीम भी इट्स टाइम फॉर नेचर रखा गया है।

जरूरत हो तो चलाएं वाहन
7 लाख से ज्यादा वाहन चलने से पहले अजमेर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 140 के आसपास रहता था। लॉकडाउन के दौरान एयर क्वालिटी इंडेक्स 43 से 45 के बीच पहुंच गया। कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन 15 से 20 प्रतिशत घटा तो स्वच्छ हवा नसीब हुई। यह संकेत है कि हम जरूरी हो तभी वाहन चलाएं, ताकि प्रदूषण कम हो।

प्रो. प्रवीण माथुर, पर्यावरण विभागाध्यक्ष एमडीएस विवि

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टोकें कचरा फैलाने वालों को
अजमेर में 3 हजार टन कचरा सेंदरिया ट्रेचिंग ग्राउन्ड भेजा जाता था। आनसागर में कई होटल, दुकानों-फैक्ट्रियों और घरों से करीब 20 लाख लीटर गंदा पानी-कचरा पहुंचता था। लॉकडाउन में यह घटकर डेढ़ हजार टन रह गया। हमें कचरा फैलाने वालों को सख्ती से टोकने-रोकने की जरूरत है।

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सिद्ध भटनागर, पर्यावरण प्रेमी

सुनाई दी कोयल-मैना की आवाज
वाहनों-मशीनों के शोर में गौरेया, मैना, कोयल और अन्य पक्षियों का कलरव सुनना मुश्किल था। लॉकडाउन के दौरान इनकी आवाज 40 से 50 प्रतिशत तक स्पष्ट सुनी गई। वनस्पतियां अैार वन्य जीव एकदूसरे के पर्याय हैं। वाहनों का शोर-प्रदूषण, मानवीय हलचल कम कर हम पर्यावरण-वन्य जीवों को संरक्षित रख सकते हैं।

महेंद्र विक्रम सिंह, अध्यक्ष बर्ड कन्र्जेशन सोसायटी

लॉकडाउन में एयर क्वालिटी इंडेक्स

अजमेर-सिविल लाइंस: पहले-99, लॉकडाउन-75
मदार गेट-स्टेशन रोड: पहले-125, लॉकडाउन-55
जयपुर रोड-कचहरी रोड: पहले-119, लॉकडाउन-45
आदर्शनगर-माखुपुरा: पहले-125, लॉकडाउन-42

50 साल में अजमेर के हालात..
-वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं में लगाए 45 लाख पेड़-पौधे बर्बाद
-अजमेर जिले के 25 प्रतिशत वन्य और ग्रीन बैल्ट में अतिक्रमण
-शहरी क्षेत्रों में 60 फीसदी कृषि भूमि तब्दील हो चुकी हैं कॉलोनियों में
-40 से ज्यादा छोटे ग्रामीण तालाबों में नहीं पहुंचता बरसात का पानी

जिले में अंधाधुंध जलदोहन
अरांई: 110.14 प्रतिशत
भिनाय-125.25 प्रतिशत
जवाजा-163.34 प्रतिशत
केकड़ी-168.42 प्रतिशत
मसूदा-112.04 प्रतिशत
पीसांगन-178.40 प्रतिशत
सिलोरा-165.94 प्रतिशत
सरवाड-130.99 प्रतिशत
श्रीनगर-178.61 प्रतिशत