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रक्तिम तिवारी/अजमेर.
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की सरकार की योजना से शायद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय को इत्तेफाक नहीं है। यहां इकलौती बेटियों के लिए स्कॉलरशिप देने पर स्थिति साफ नहीं है। प्रवेश समिति और अधिकारियों ने प्रॉस्पेक्टस में कहीं योजना का जिक्र करना मुनासिब नहीं समझा है। जबकि सरकार 13 वर्ष पूर्व योजना प्रारंभ कर चुकी है।
1 अगस्त 1987 को स्थापित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर और स्नातक पाठ्यक्रम संचालित हैं। इनमें मैनेजमेंट स्टडीज, पर्यावरण विज्ञान, फूड एन्ड न्यूट्रिशियन, कम्प्यूटर विज्ञान, जूलॉजी, बॉटनी, कॉमर्स, इतिहास, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, बीएड, योग, रिमोट सेंसिंग, एप्लाइड केमिस्ट्री, माइक्रोबायलॉजी और अन्य कोर्स शामिल हैं। यहां करीब 1200 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने इकलौती बेटियों (जिनके कोई दूसरी संतान नहीं) को उच्च शिक्षा में सहायता देने के लिए 13 वर्ष पूर्व एकल पुत्री छात्रवृत्ति योजना प्रारंभ की।
ना नियम ना कोई जिक्र
विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष ऑनलाइन प्रॉस्पेक्ट्स अपलोड करता है। इसमें एससी-एसटी, अल्पसंख्यक और अन्य श्रेणियों के विद्यार्थियों की छात्रवृत्तियों, मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति, फैलोशिप, प्रोफेशनल फेकल्टी फंड और अन्य छात्रवृत्तियों का जिक्र होता है। एकल पुत्री छात्रवृत्ति योजना का कहीं जिक्र नहीं किया जाता है। जबकि विश्वविद्यालय के विभिन्न कोर्स में छात्राएं पढ़ाई कर रह हैं।
पात्र लाभार्थी की सूचना नहीं
छात्रवृत्ति योजना को लेकर विश्वविद्यालय अव्वल दर्जे का लापरवाह है। 13 साल में किसी पात्र छात्रा को स्कॉलरशिप देने की सूचना भी उपलब्ध नहीं है। प्रवेश नियम और प्रॉस्पेक्ट्स में जिक्र नहीं होना विश्वविद्यालय की उदासीनता दर्शाता है। ऐसा तब है जबकि प्रवेश समिति और अधिकारियों की निगरानी में प्रोस्पेक्टस तैयार किया जाता है।
कम विद्यार्थी यानि मुसीबत कम
उदयपुर के एमएल सुखाडिय़ा, जोधपुर के जयनारायण व्यास, जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय, सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय जैसे बड़े कॉलेज की तुलना में 10 से 15 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहां छात्राओं की संख्या भी चार-पांच हजार तक पहुंच चुकी है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में महज 1100-1200 विद्यार्थी पढ़ते हैं।
Published on:
25 May 2019 08:44 am
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