
seminar on mahatma gandhi
देश का पैसा लोगों की मेहनत की कमाई (public money) है। हमें इसके खर्चे में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (mahatma gandhi) के अपरिग्रह और मितव्यता का सिद्धांत अपनाने की जरूरत है। चाहे नेता, अफसर हों या आमजन सबको सीमित संसाधनों (facilities) में जीवन यापन को तरजीह देनी चाहिए। यह बात तकनीकी, चिकित्सा और संस्कृत शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग (dr. subhash garg) ने कही। वे सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (spc-gca) में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि गांधी (Bapu) एक व्यक्ति नहीं विचारधारा (thaught) है। उन्होंने निजी संग्रह और निजी हित को कभी जीवन में स्थान नहीं दिया। बापू एक-एक पैसा का हिसाब रखते हुए सीमित संसाधनों, मितव्ययता पसंद थे। यही सिद्धांत (gandhian principal) हमें भी अपनाना चाहिए। नेता, अधिकारी, कर्मचारी और आमजन को इसकी कीमत समझनी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि राजस्थान लोक सेवा आयोग (rpsc ajmer) के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बी. एम. शर्मा ने कहा कि प्रारंभिक जीवन में महात्मा गांधी बेहद साधारण व्यक्ति (simple person)थे। लेकिन दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन (train incident) में हुई घटना ने उन्हें उद्वेलित कर दिया। यहीं से श्वेत-अश्वेत में भेदभाव के खिलाफ वे खड़े हुए। अस्पृश्यता, भेदभाव, रुढिवादी विचारधार, गरीबी के खिलाफ उन्होंने खुद को तैयार किया। भारत (india) लौटने के बाद उन्होंने समूचा जीवन जन उद्धार और ब्रिटिश (bristish) गुलामी से मुक्ति दिलाने में लगा दिया। प्राचार्य डॉ. एम.एल. अग्रवाल ने स्वागत किया। इस दौरान डॉ. एल. एस. राठौड़ की पुस्तक रोमांस ओवर कॉफी का विमोचन किया गया। सहायक निदेशक डॉ. सुनीता पचौरी ने धन्यवाद दिया।
इस दौरान पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल, डॉ. सुनील लारा, शिव कुमार बंसल, सबा खान, मोहित मल्होत्रा, अजीत चौपड़ा, जनार्दन शर्मा और अन्य मौजूद रहे।इन्होंने किया पत्रवाचनडॉ. मोईनुद्दीन, डॉ. रेखा यादव, डॉ. संजीव वर्मा, डॉ. कल्पना शर्मा, नीलम भाटिया, अंशु जोशी, जितेंद्र थदानी, शिखा शर्मा, कृतिका शर्मा, परिधि यादव, डॉ. मंजुश्री गुप्ता और अन्य ने शोध पत्र पेश किए। डॉ. गुरुशरणसिंह, डॉ. एच.एस. कलसी, डॉ. घोष राय, डॉ. एच.एम.सक्सेना ने अध्यक्षता की।
अड़े अंदर बैठने को लेकर
छात्रसंघ अध्यक्ष विकास गोरा और अन्य छात्र सभागार (auditorium) में बैठने के लिए अड़ गए। डॉ. मंजुला मिश्रा और डॉ. सुनीता पचौरी से उसकी बहस हो गई। बाद में प्राचार्य डॉ. अग्रवाल ने अध्यक्ष सहित अन्य प्रतिनिधियों को कुर्सी लगाकर सभागार में बैठाया।
चाहिए रोजगार और देश का आर्थिक विकास
डॉ. गर्ग ने केंद्र सरकार (central govt) को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश आर्थिक मंदी और बेरोजगारी से जूझ रहा है। युवाओं को रोजगार और देश को आर्थिक विकास (economic development) चाहिए। सरकार को थोथे वायदों-घोषणाओं के बजाय धरातल पर रहकर कामकाज करना चाहिए।
Published on:
19 Sept 2019 08:07 am
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