पीडि़त छात्र के दादा ने बताया कि सोमवार को हुए घटनाक्रम के संबंध में अनुसंधान अधिकारी से मिलने पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि शिक्षण संस्थान के बुलावे पर सोमवार को अजमेर आए। उनको आंतरिक कमेटी गठित करने व पीडि़त छात्र के बयान दर्ज करने की बात कही।
बयान अकेले में दर्ज किए गए। पीडि़त ने जो बयान दिए उसको हेरफेर कर लिखा गया। जब उन्होंने बयान की कॉपी मांगी तो कमेटी ने इनकार कर दिया। धरने पर बैठने पर अभद्र व्यवहार यिा गया। सूचना पर पुुलिस अधिकारी पहुंचे। उन्होंने भी समझाइश का प्रयास किए लेकिन प्रबंधन ने बयान की कॉपी देने से इन्कार कर दिया। जब मामला बढ़ता नजर आया तो पुलिस की मौजूदगी में प्रबंधन व जांच कमेटी ने बयान जला दिए।
लिपापोती का आरोप
उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षण संस्थान प्रकरण के लिपापोती में जुटा है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन चाहता तो आरोपित को प्रथमदृष्ट्या निलंबित कर जांच करवाता। उनके बेटे ने कोर्ट में बयान दिए जिसमें गंभीर आरोप लगाए है।
उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षण संस्थान प्रकरण के लिपापोती में जुटा है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन चाहता तो आरोपित को प्रथमदृष्ट्या निलंबित कर जांच करवाता। उनके बेटे ने कोर्ट में बयान दिए जिसमें गंभीर आरोप लगाए है।
पुलिस जांच में कथिततौर पर आरोप साबित भी हुए हैं। आरोप साबित नहीं होते तो संस्थान की ओर से शिकायत नहीं दी जाती?, पुलिस प्रशासन प्रकरण क्यों दर्ज करता?। मामले में उन्होंने तो शिक्षण संस्थान को शिकायत दी।
फिर कोई न हो शिकार पीडि़त छात्र के दादा ने कहा कि अब हमारी लड़ाई संस्थान में पढऩे वाले प्रत्येक बच्चे के लिए है। हमारे बच्चे के साथ जो हुआ वे किसी ओर बच्चे के साथ न हो। लोग यहां चकाचौंध देखकर बच्चों को पढऩे भेजते है लेकिन उन्हें सही राह नजर नहीं आती है। दूसरे बच्चों की जिन्दगी सुरक्षित रहे उसके लिए अंतिम छोर तक वे लड़ाई लड़ेंगे।
साक्ष्य जुटा रही है पुलिस
पीडि़त परिवार ने निष्पक्ष जांच की बात कही है। पुलिस प्रकरण के प्रत्येक पहलू को जांच के दायरे में ले रही है। साक्ष्य भी जुटाए जा रहे हैं। संस्थान की आंतरिक कमेटी के बयान पुलिस की गैरमौजूदगी मेंं हुए लेकिन पीडि़त पक्ष के संतुष्ठ नहीं होने पर प्रबंधन बयान नष्ट कर दिए।
पीडि़त परिवार ने निष्पक्ष जांच की बात कही है। पुलिस प्रकरण के प्रत्येक पहलू को जांच के दायरे में ले रही है। साक्ष्य भी जुटाए जा रहे हैं। संस्थान की आंतरिक कमेटी के बयान पुलिस की गैरमौजूदगी मेंं हुए लेकिन पीडि़त पक्ष के संतुष्ठ नहीं होने पर प्रबंधन बयान नष्ट कर दिए।
गजेन्द्र सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व अनुसंधान अधिकारी