रक्तिम तिवारी/अजमेर.
विद्यार्थी महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer), लॉ (law) और बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज (engineering college) में क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल और अन्य गेम्स खेलना चाहें तो निराशा ही होगी। इन संस्थानों कोई खेल मैदान (sports ground)नहीं है। इंडोर और आउटडोर गेम्स सुविधाओं का भी अभाव है। ऐसा तब है, जबकि केंद्र और राज्य सरकार (govt) खेल सुविधाएं मुहैया कराने में जुटी हैं।
read more: plastic mukt ajmer : प्लास्टिक से कैसे बचना है, अपनाएं यह विकल्प
विश्वविद्यालय के पास कायड़ रोड पर करीब 700 बीघा जमीन है। यहां शैक्षिक प्रशासनिक भवन, छात्रावास और स्टाफ-टीचर्स क्वाटर बने हैं। खेल सुविधाओं के मामले में विश्वविद्यालय सबसे पिछड़ा है।
विश्वविद्यालय में नहीं यह खेल सुविधाएं
क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल जैसे आउटडोर गेम्स
बैडमिंटन, स्क्वैश, टेबल टेनिस, टेनिस और अन्य इंडोर गेम्स
इंजीनियरिंग कॉलेज के हाल भी खराब
बॉयज और महिला इंजीनियरिंग कॉलेज (engineering colleges) में भी क्रिकेट, फुटबॉल खेलने के लिए मैदान (sports ground) नहीं है। दोनों कॉलेज में करीब 1200 से ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। यहां प्रतिवर्ष वार्षिक खेल प्रतियोगिताएं होती हैं। इनका आयोजन लोको स्पोट्र्स ग्राउन्ड (loco ground) या अन्यत्र कराना पड़ता है। यहां भी स्क्वैश, टेबल टेनिस, टेनिस जैसे इंडोर गेम्स खेलने की सुविधाएं नहीं है।
read more: Education: हाईटेक लेब तैयार, Students को मिलेगा फायदा
संस्कृत-लॉ कॉलेज भी पीछे
कायड़ रोड स्थित लॉ कॉलेज (law college) और लोहागल रोड स्थित संस्कृत कॉलेज (sankrit college) में खेल मैदान, प्रशिक्षक और संसाधन तक नहीं है। दोनों कॉलेज में आउटडोर-इंडोर गेम्स खेल सुविधाएं नहीं है। कॉलेज के विद्यार्थी राज्य (state), राष्ट्रीय (national) और अंतर्राष्ट्रीय (inter national) खेलकूद गतिविधियों में प्रतिनिधित्व नहीं कर पाते हैं।
read more: Health Camp : प्रेक्षाध्यान शिविर में बीमारी दूर भगाने जुटेंगे शहरवासी
खेल शुल्क का गणित
प्रति विद्यार्थी शुल्क : 100 रुपए
शुल्क की हिस्सेदारी : 50-50 रुपए कॉलेज एंव यूनिवर्सिटी
15 साल में जमा राशि: 5 से 10 करोड़
किसमें खर्च
-इंटर कॉलेज अथवा कैंपस टूर्नामेंट में
read more: Online Form: टीचर और इंजीनियर बनने के लिए भरे फार्म
नाम का तेंदुलकर स्टेडियम…
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने 2010 में सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) स्टेडियम का शिलान्यास किया था। नौ साल से इसमें एक ईंट नहीं लग पाई है। विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) के तहत 1 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा है। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है।
read more: Garba in Ajmer: धोरों की धरती पर गुजराती संस्कृति की धूम
बिना कोच कौन तराशे खिलाडिय़ों को
उच्चआरै तकनीकी शिक्षण संस्थानों में खेल प्रशिक्षक अथवा खेल निदेशक (sports director) नहीं है। विश्वविद्यालय में पूर्व में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के कोच यहां सेवाएं देते थे। लॉ और संस्कृत कॉलेज में खेल प्रशिक्षक पद सृजित नही है। इंजीनियिरंग कॉलेज में भी यही हाल है। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय जैसे कुछ कॉलेज को छोडकऱ कहीं शारीरिक शिक्षा विभाग नहीं नहीं है।
आउटडोर गेम्स के खेल मैदान नहीं है। हम भामाशाहों का सहयोग लेकर अब इन्हें तैयार करेंगे।
डॉ. यू.एस. मोदानी, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज