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SMART CITY : अजमेर की अंधेरी पुलिया में अनदेखी का अंधियारा

पुलिया गंदगी से अटी पड़ी है और इसमें मुंह मारते नजर आते हैं, जबकि इसका निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में बतौर अंडरपास कराया गया था

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In ajmer the bridge is covered with dirt

SMART CITY : अजमेर की अंधेरी पुलिया में अनदेखी का अंधियारा

अजमेर.

शहर को स्मार्ट बनाने के लिए लाख प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन आज भी कई जगह अनदेखी का अंधेरा पसरा है। ऐसे ही कुछ हालात अंधेरी पुलिया के भी हैं, जहां अनदेखी का अंधेरा पसरा है। पुलिया गंदगी से अटी पड़ी है और इसमें मुंह मारते नजर आते हैं, जबकि इसका निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में बतौर अंडरपास कराया गया था।

इसके बाद भी इसके जीर्णोद्धार के प्रयास किए जाते रहे, लेकिन फलीभूत नहीं हुए। अंजाम एक बार फिर वही ढाक के तीन पात। जनता के खून-पसीने की कमाई खर्च कर पुलिया का सौंदर्यीकरण किया गया। इसमें बड़ी लाइट लगाई गईं, जिससे रात में भी राहगीर इसमें से गुजर सकें।

यह स्टेशन रोड से पाल बीसला का शॉर्टकट भी है, लेकिन अनदेखी की गर्द ऐसी जमीं की फिर साफ नहीं हो सकी और हजारों रुपए खर्च कर भी पुलिया फिर गंदगी से अटा नाला बनकर ही रह गई।

नगर निगम ने करीब 13 साल पहले इस पुलिया का जीर्णोद्धार कराकर इसका बाकायदा लोकार्पण कराया था, लेकिन कुछ दिन बाद ही चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात वाली मिसाल यहां चरितार्थ होने लगी।

आज अंधेरी पुलिया के नाम पर नगर निगम की ओर से करवाया गया काम कम और उस वक्त हुआ थप्पड़ प्रकरण ज्यादा याद आता है।


स्टेशन को पाल बीसला क्षेत्र से जोडऩे के लिए ब्रिटिशकाल में रेलवे अंडरपास बनवाया गया था। बताया जाता है कि इस अंडरपास में से ऑटोरिक्शा तक आया जाया करते थे लेकिन धीरे धीरे यह पुलिया प्रशासनिक लापरवाही की शिकार होती गई।

अब हालात यह है कि इसमें से आवाजाही तो दूर पुलिया के प्रवेश द्वार पर खड़ा रहना तक मुश्किल है। बदबू के कारण पुलिया के आस-पास बसे लोगों का भी जीना मुहाल है।

मंत्री ने किया था लोकार्पण, बरसे थे फूल

मौजूदा महापौर धर्मेन्द्र गहलोत के पिछले कार्यकाल में 7 जुलाई 2006 को तत्कालीन नगरीय विकास राज्यमंत्री प्रतापसिंह सिंघवी और तत्कालीन शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने इस पुलिया के जीर्णोद्धार के बाद लोकार्पण किया था। महापौर गहलोत तब नगर परिषद सभापति थे।

उन्होंने अंधेरी पुलिया की न केवल सफाई करवाई बल्कि पुलिया के अंदर लाइटें भी लगवाई थीं। स्टेशन रोड पर लोकार्पण के बाद मंत्री पूरे लवाजमे के साथ पैदल चल कर अंधेरी पुलिया से पाल बीसला की तरफ निकले थे, तब क्षेत्रवासियों ने फूल बरसा कर उनका स्वागत किया था।

अब पुलिया बन गया नाला

वर्तमान में यह पुलिया कम और नाले का काम ज्यादा कर रही है। पुलिया के दोनों तरफ प्रवेश द्वार पर गंदगी पसरी हुई है और गंदा पानी बह रहा है जिसकी बदबू के कारण वहां खड़ा होना भी मुश्किल है। साथ ही प्रवेश द्वार पर ही विचरण करते नजर आते हैं। खास बात यह है कि नगर निगम ने बारिश को ध्यान में रखते हुए भी पुलिया की सफाई का कार्य शुरू नहीं करवाया है।

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फिर कैसे घटेगा यातायात दवाब

स्मार्ट सिटी के तहत स्टेशन रोड से यातायात का दवाब कम करने के लिए एक तरफ जहां एलिवेटेड रोड बनाया जा रहा है वहीं अंधेरी पुलिया से आवाजाही शुरू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। जबकि पूर्व में यह पुलिया वाहनों की आवाजाही के काम आती थी।

हालांकि वर्ष 2006 में जब इसका दोबारा लोकार्पण करवाया गया था, तब इसे पैदल आवाजाही के लिए बना दिया गया लेकिन अंधेरी पुलिया को भी स्मार्ट सिटी कार्यों में शामिल कर इसे फिर से आबाद किया जा सकता है।

सफाई नहीं होने के कारण यह दुर्दशा

यह पुलिया रेलवे से भी पहले की बने हुई है। मैं वर्ष 1978 से इस पुलिया के पास रह रहा हूं। पहले इसमें दोपहिया वाहनों के साथ ऑटोरिक्शा भी आया-जाया करते थे। पिछले दिनों इसे पैदल आवाजाही के लिए खोला गया लेकिन कुछ दिनों बाद ही इसकी हालत खराब हो गई। सफाई नहीं होने के कारण इस पुलिया की यह दुर्दशा हुई है।

नजर अब्बास, दुकानदार

लोगों को आवाजाही के लिए सुगम रास्ता उपलब्ध कराने की मंशा से ही अंधेरी पुलिया का जीर्णोद्धार करवाया गया था। पानी नहीं भरे इसके लिए पाइप लाइन भी डाली गई थी। इसमें रेलवे की भी कुछ आर्च आ रही है। इस संबंध में भी रेलवे से बात करके एक बार फिर से कोशिश की जाएगी।

धर्मेन्द्र गहलोत, महापौर