जानना चाहतें हैं पक्षियों का व्यवहार तो समझें यह तकनीक
ध्वनि तरंगों से पक्षी और जीव-जंतुओं के बारे में विस्तृत अध्ययन संभव है।

रक्तिम तिवारी/अजमेर. खास ध्वनि तरंगों से पक्षियों के गुण और व्यवहार का अध्ययन किया जा सकता है। किसी प्राकृतिक आपदा, प्रदूषण अथवा वातावरण में आए बदलाव को पक्षी महसूस करते हैं। यह विचार महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में पक्षी व्यवहार अध्ययन सम्मेलन में सामने आए।
पूर्व कुलपति प्रो. के. के. शर्मा ने कहा कि सोनोटेक्सोनॉमी और एकोस्टिको इन्फॉरमेटिक्स तकनीक से विज्ञान में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। ध्वनि तरंगों से पक्षी और जीव-जंतुओं के बारे में विस्तृत अध्ययन संभव है। इस तकनीकी ने कई वैज्ञानिक नवाचार किए हैं। प्रो. अनिल छांगाणी ने थार मरुस्थल में गिद्धों की आबादी के बारेमें बताया। उन्होंने गिद्ध प्रकृति मित्र हैं, इनका संरक्षण होना चाहिए।
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प्रो. प्रवीण माथुर ने सांभर त्रासदी, डॉ. के. सी. सोनी ने चूरू के निकटवर्ती इलाके में गिद्ध की प्रजातियों और व्यवहारिक की जानकारी दी।समापन समारोह में जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एस. वेंकटराघवन ने कहा कि जैव विविधता और भौगोलिक संतुलन के लिए जीव-जंतुओं का संरक्षण जरूरी है। पशु-पक्षियों को मानवीय हलचल से होने वाला नुकसान पृथ्वी के लिए भी खतरे का संकेत है।
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इस दौरान डॉ. रजनीश चारण और डॉ. डॉली को यंग इंकोलॉजिकल अवार्ड, स्नेहल माथुर को बेस्ट प्रजन्टेशन, आंचल, हिना और सुनीता को बेस्ट पोस्टर प्रजन्टेशन अवार्ड दिया गया। इन्होंने किया पत्रवाचनडॉ. कोला श्रीदेवी ने स्क्रेप बीटल, डॉ. वी. वी बिनॉय ने पशु व्यवहार अनुभूति, रंजन कुमार ने नम भूमि प्रबंधन में पक्षियों की भूमिका, प्रो. ऋतु माथुर ने दोषपूर्ण जीवन शैली और अनुचित आहार पैटर्न, फिरोज खान ने सीसे से पक्षियोंपर प्रतिकूल असर पर शोध पत्र पढ़ा। राकेश स्वन, ब्रिंगकी देसाई, निराली पांचाल, प्रणय विरमानी, डॉ. डोनिता डेनियल,सरोजिनी मिंज, मानसी जादौन और अन्य ने भी शोध पत्र पढ़े। इकोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. एस. फैजी ने रिपोर्ट पेश की।
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विश्वविद्यालय परीक्षाओं में पहन सकेंगे फेसमास्क
अजमेर. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में विद्यार्थी परीक्षा केंद्रों में फेस मास्क और सेनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकेंगे। कोरोना वायरस के चलते विश्वविद्यालय ने यह फैसला किया है।
विश्वविद्यालय की प्रथम वर्ष स्वयंपाठी विद्यार्थियों की परीक्षाएं जारी हैं। स्नातक प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के नियमित विद्यार्थियों की परीक्षाएं होली के बाद प्रारंभ होंगी। देश के कई शहरों में कोरोनावायरस पीडि़त मरीज मिले हैं। इसको देखते हुए मदस विश्वविद्यालय ने भी परीक्षाओं में ऐहतियात बरतने का फैसला किया है। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने बताया कि विद्यार्थी परीक्षाओं के दौरान केंद्रों में फेसमास्क पहन सकेंगे।
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