
परशुराम सैनी : फोटो पत्रिका
उमाशंकर वैष्णव/मेवदाकलां (अजमेर)। अगर इरादे मजबूत हों तो हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों रास्ते जरूर निकलते हैं। यह प्रेरणादायी पंक्तियां चरितार्थ होती हैं देवगांव (केकड़ी) निवासी परशुराम सैनी की जीवन यात्रा में। जिन्होंने बेहद साधारण किसान परिवार से निकलकर राजस्थान सरकार में जॉइंट डायरेक्टर के पद तक का सफर तय किया है।
उनका जन्म अजमेर जिले के गांव देवगांव के सामान्य कृषक परिवार में हुआ। उनके पिता रामदेव सैनी आज भी पुश्तैनी खेती करते हैं। उन्होंने 2003 में केकड़ी के राजकीय विद्यालय से विज्ञान वर्ग में 12वीं उत्तीर्ण की। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। इसके बाद खेतों में काम किया। भीलवाड़ा की फैक्टरियों में मजदूरी और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानों पर कार्य किया।
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इसके बाद दिल्ली में ट्रक क्लीनर से लेकर ड्राइवर तक का काम किया। दो वर्ष बाद जयपुर में टैक्सी चलाने का कार्य शुरू किया। इसी दौरान एक जापानी पर्यटक से उनकी मुलाकात ने जीवन की दिशा बदल दी। इस पर्यटक ने राजस्थान विश्वविद्यालय में उन्हें प्रवेश दिलवाया। टैक्सी चलाते हुए ही उन्होंने 2006 से 2009 तक प्राइवेट छात्र के रूप में स्नातक 72 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण किया। इसके बाद नियमित बीएड फिर एमए राजनीति शास्त्र किया। वर्ष 2012 में पटवारी पद पर चयन हुआ।
इसी वर्ष द्वितीय श्रेणी शिक्षक के रूप में चयनित होने पर उन्होंने शिक्षा सेवा को प्राथमिकता दी। वर्ष 2013 में भिनाय ब्लॉक के राजकीय माध्यमिक विद्यालय कुम्हारिया में शिक्षक पद पर नियुक्त हुए और 2015 में व्याख्याता गृह विज्ञान पद प्राप्त किया। उन्होंने आरएएस की तैयारी की और 2017 की आरएएस परीक्षा में 161वीं रैंक हासिल कर राजस्थान लेखा सेवा में चयनित हुए। विभागीय पदोन्नतियों के बाद वे राजस्थान सरकार में जॉइंट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।
Updated on:
01 Jul 2025 02:33 pm
Published on:
01 Jul 2025 02:32 pm
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