बड़ल्या गांव में 9 भूतल जलाशय बने हुए हैं। इनमें से सिर्फ चार में ही पानी आता है। शेष 5 जलाशयों में पिछले कई सालों से पानी नहीं पहुंच सका है। हालत यह है कि ग्रामीणों को दुपहिया वाहनों और साइकिलों पर पानी लाना पड़ता है। सर्वाधिक परेशानी महिलाओं को होती है। एक-दो मटकी पानी के लिए भी काफी दूर जाना पड़ता है। गर्मी में तो हालात और बदतर रहते हैं। टैंकरों का सहारा लेना पड़ता है। ग्रामीणों की ओर से जिला प्रशासन को अवगत कराने के बावजूद ना तो कोई सुनवाई हुई और ना ही कोई बदलाव आया। इससे ग्रामीणों में भी खासी नाराजगी है।
अवैध कनेक्शन की भरमार मुख्यमार्ग से गुजरने वाली पाइप लाइन में अवैध कनेक्शनों की भरमार है। स्थिति यह है कि लोगों ने सडक़ पर ही पाइप लगा रखे हैं। पानी की सप्लाई शुरू होते ही बूस्टर लगा लिए जाते हैं, जिससे पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाता। हालांकि जलदाय विभाग की ओर से गत दिनों अवैध कनेक्शन काटे गए थे।
प्रशासन से लगाई थी गुहार बड़ल्या सरपंच ज्ञानसिंह ने जिला कलक्टर को गत दिनों जल संकट के समाधान के लिए ज्ञापन सौंपकर राहत दिलाने की मांग की थी । ज्ञापन में बताया कि बरडिया की ढाणी, डगरा, लोहरा का बाडिय़ा, कटालिया की ढाणी व पंचायत के सामने बनी टंकी में पानी नहीं आने की समस्या बताी गई थी। जलदाय विभाग ने भी गत दिनों 17 अवैध कनेक्शन काटे थे।
नहीं आता टंकी में पानी गर्मी में सर्वाधिक परेशानी पानी की होती है। पानी की टंकी बनी हुई है, लेकिन उसमें पानी नहीं आता है। इसके कारण दूर बनी टंकी से पानी लाना पड़ता है।
– सुरेन्द्र सिंह रावत, ग्रामीण टैंकरों का लेना पड़ता है सहारा घर के पास ही बनी टंकी में पानी नहीं आने से दूसरी जगह से पानी लाना पड़ता है। टैंकरों का सहारा लेना पड़ता है। गर्मी में टैंकर डालने के 400 रुपए तक ले लेते हैं। एक माह में दो-तीन टैंकर डलवाने पड़ते हैं।
– भंवरी देवी, ग्रामीण