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Rajasthan ka ran : महाभारत की तरह राजनीति में भी नहीं कोई किसी का सगा, यहां भी गुरू गुड़ तो चेले शक्कर हो गए

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their is no strong bonding between politicians who are relatives

महाभारत की तरह राजनीति में भी नहीं कोई किसी का सगा, यहां भी गुरू गुड़ तो चेले शक्कर हो गए

अजमेर. महाभारत की तरह ही राजनीति को भी एक ऐसा युद्द कहा जा सकता है जिसमें कोई किसी का सगा नहीं हो सकता। अजमेर की राजनीति भी इससे अछूती नहीं रही है। बात गुरु चेले की हो या फिर भाई-भतीजे की। यहां भी ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जिन्हें देख कर कहा जा सकता है कि गुरु गुड़ रह गए तो चेले शक्कर हो गए। राजनीति में कभी साथ उठने बैठने वाले कई नेताओं की राह अब अलग-अलग नजर आने लगी है।

कोई अपने राजनीतिक गुरु को दरकिनार कर दावेदारी जता रहा है तो कोई अपने ही शागिर्द को तल्ख तेवर दिखा रहा है। कहीं भाई-भाई में आरोप प्रत्यारोप चल रहा है तो कहीं चाचा-भतीजे में। इन सबके बीच कुछ ऐसे भी हैं जो अपने राजनीतिक गुरु के इशारों पर ही चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
ललित भाटी और हेमंत भाटीअजमेर दक्षिण से कांग्रेस प्रत्याशी की दौड़ में शामिल उद्योगपति ललित भाटी और हेमंत भाटी दोनों सगे भाई हैं।

दोनों भाइयों में आपसी तकरार के कारण राजनीतिक प्रतिद्वंद्वता भी रही है। ललित वर्ष २००३ में कांग्रेस से और २००८ में राकांपा से प्रत्याशी रहे, तब उनके ही भाई हेमंत ने भाजपा प्रत्याशी अनिता भदेल का साथ दिया और भदेल की जीत की राह आसान करते रहे। खास बात यह भी है कि भदेल का साथ देने वाले हेमंत वर्ष २०१३ के विधानसभा चुनाव में भदेल के ही सामने कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतर गए, हालांकि हार हुई लेकिन इस बार फिर वे अजमेर दक्षिण से ही कांग्रेस की टिकट मांग रहे हैं। वहीं उनके बड़े भाई ललित भी इसी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की दौड़ में हैं।

डॉ. श्रीगोपाल बाहेती और नसीम अख्तर पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के दावेदार पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर के पति हाजी इंसाफ अली भी काफी समय तक साथ रहे हैं। इंसाफ ने बाहेती के साथ रह कर राजनीति का पहाड़ा पढ़ा। कहा जाता है कि बाहेती ने ही उनकी पत्नी नसीम अख्तर को पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य और पार्षद का चुनाव भी लड़ाया। लेकिन अब दोनों ही एक दूसरे की कार सेवा करने से नहीं चूकते।

डॉ.बाहेती ने वर्ष २००३ में पुष्कर से चुनाव लड़ा और विधायक बने। इसके बाद वर्ष २००८ में नसीम ने पुष्कर से टिकट लिया और शिक्षा राज्यमंत्री बनी। पिछला चुनाव भी नसीम ने पुष्कर से ही लड़ा लेकिन हार गई। इस बार भी डॉ.बाहेती और नसीम पुष्कर से टिकट के लिए पूरी जी-जान लगा रहे हैं। वासुदेव देवनानी और नीरज जैनअजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से इस बार भाजपा पार्षद नीरज जैन भी दावेदारी जता रहे हैं। इस सीट से लगातार तीन चुनाव जीतने वाले शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के साथ जैन के विद्यार्थी परिषद से ही अच्छे राजनीतिक संबंद्ध रहे हैं।

यहां तक पिछले तीन चुनाव में देवनानी को जिताने मे भी जैन ने सक्रिय भूमिका निभाई है लेकिन इस बार जैन कोई मौका नहीं छोड़ रहे और अजमेर उत्तर से ही टिकट पाने की जुगत में लगे हुए हैं। शत्रुघ्न गौतम और अनिल मित्तलसंसदीय सचिव शत्रुघ्न गौतम को राजनीतिक गुरु मानने वाले केकड़ी नगर पालिका अध्यक्ष अनिल मित्तल ने पैंतरा बदलते हुए देर नहीं लगाई है। उन्होंने इस बार केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से टिकट की मांग कर सबको चौंका दिया है।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के टिकट पर छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव जीत चुके अनिल मित्तल पिछले विधानसभा चुनाव तक सक्रिय राजनीति से बिल्कुल दूर थे। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद २०१४ में संसदीय सचिव शत्रुघ्न गौतम ने अपने आध्यात्मिक गुरु उत्तम स्वामी के सानिध्य में भागवत कथा महोत्सव का आयोजन किया। इस दौरान मित्तल व गौतम की नजदीकियां बनी। २०१५ में नगर पालिका चुनाव के दौरान राजनीतिक समीकरण साधते हुए गौतम ने अपने चहेते अनिल मित्तल को पालिकाध्यक्ष बनवा दिया। अब गौतम व मित्तल दोनों ही केकड़ी से भाजपा के दावेदार हैं।