
tourist increase in ajmer-pushkar
अजमेर.
अपनी पारम्परिक विरासत, संस्कृति, सर्वपंथ समभाव जैसे गुणों को सहेजने के साथ-साथ अजमेर और पुष्कर देश के पर्यटन मानचित्र में खास पहचान रखते हैं। एक तरह सूफियत की महक और दूसरी ओर तीर्थनगरी पुष्कर सनातन संस्कृति का संदेश देती है। यही वो डोर है, जिससे यह समूचा अजमेर जिला देश-दुनिया में अनूठा समझा जाता है। यह खूबियां होने के बावजूद बीते साल विदेशी पावणे कम आए। लेकिन स्थानीय पर्यटकों ने अजमेर-पुष्कर ने खूब लुभाया।
देशी पावणे आए ज्यादा
साल 2018 की शुरुआत से अजमेर और पुष्कर में सैलानियों की आवाजाही जारी। बीते साल 31 दिसंबर तक अजमेर में 30 लाख 27 हजार 800 और पुष्कर में 35 लाख 93 हजार 200 देशी पावणे आए। जबकि विदेशी सैलानियों की संख्या अजमेर में 70 ,370 और पुष्कर में 40,965 रही। वैसे साल 2016 में अजमेर में सर्वाधिक 48 लाख 96 हजार 070 देशी और 2008 में पुष्कर में सर्वाधिक 86 हजार 030 विदेशी पर्यटक आए थे। इसके अलावा देशी-विदेशी पर्यटकों में उतार-चढ़ाव बराबर चल रहा है।
देखिए ये शानदार नजारे....
पर्यटन विभाग के उप निदेशक संजय जौहरी ने बताया कि अजमेर पर्यटन क्षेत्र में किसी से कमतर नहीं है। कभी उपेक्षित और बदहाल रााजकीय संग्रहालय का नजारा बिल्कुल बदल चुका है। संग्रहालय की दर्शक दीर्घाओं में पुरा सम्पदा-सामग्री को अत्याधुनिक ढंग से सजाया गया है। बरसों बाद सम्राट पृथ्वीराज चौहान, मुगल सम्राट अकबर, जहांगीर, राजा मानसिंह की मूर्तियां लगाई गई है। इसके अलावा आनासागर झील की मुगलकालीन बारादरी, नए कलेवर में बना सुभाष उद्यान, महाराणा प्रताप स्मारक, आनासागर चौपाटी सैलानियों को लुभा रहे हैं।
जल्द चलेंगी फ्लाइट्स
शहरवासियों की बरसों पुरानी एयरपोर्ट की मांग पूरी हो चुकी है। आगामी अक्टूबर से दिल्ली-किशनगढ़ के बीच नियमित फ्लाइट चलेंगी। देशी-विदेशी पर्यटकों, आम लोगों को अजमेर-पुष्कर और अन्य इलाकों तक आवाजाही में आसानी होगी। जल्द लोग यहां से देश-दुनिया के विभिन्न शहरों के लिए फ्लाइट पकड़ सकेंगे।
अरावली का सौंदर्य है आनासागर
आनसागर झील वास्तव में अरावली का सौंदर्य है। यहां के नयानिभराम नजारे देशी-विदेशी सैलानियों को जादुई मोहपाश में बांध लेते हैं। गौरव पथ पर बहुत सुंदर चौपाटी बनाई गई है। हैंगिंग ब्रिज भी झील में चार-चांद लगाता दिखता है। क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के समक्ष बनी चौपाटी भी सैर-सपाटे का स्थल बन चुकी है। ब्रिटिशकालीन सर्किट हाउस, बजरंगढ़ की पहाड़ी से शहर की अप्रतिम सुंदरता दिखाई देती है।
इनसे परवान चढ़ेगा पर्यटन...
-अजमेर की प्राकृतिक सुंदरता, बरसात के दौरान पहाड़ों पर मंडराते बादलों, हरियाली और ठंडक बहुत मशहूर है। राजस्थान पत्रिका ने फरवरी 2017 में पहली बार मोबाइल फोटो प्रदर्शनी एक्सप्लोरेशन ऑफ अजमेर सनराइजेस एन्ड सनसेट्स का आयोजन किया। मोबाइल से खींचे गए फोटो में सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्वितीय फोटो लोगों को पसंद आए।
-आनासागर और फायसागर झील में बरसों से देशी-विदेशी प्रवासी पक्षी पहुंच रहे हैं। पत्रिका लगातार दो साल से बर्ड फेयर लगा रहा है। लोगों ने पक्षियों के कलरव और उनकी सुंदरता को नजदीक से महसूस किया। इसके सालाना समारोह बनने पर देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी।
-जयपुर के जवाहर कला केंद्र की तरह अजमेर और पुष्कर में ओपन थियेटर, कला दीर्घा बनाने की जरूरत है। इस कला केंद्र में वर्षभर देशी-विदेशी विषयों, कथानकों पर नाटक, एकांकी, चित्र प्रदर्शनी और अन्य आयोजन होंगे तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
-शास्त्रीनगर-लोहागल रोड पर नगर वन उद्यान तैयार हो रहा है। यहां वॉक-वे, दो व्यू पॉइन्ट, बायो टॉयलेट, चिल्ड्रन्स पार्क, नवगृह, योग वाटिका, साइकिल ट्रेक, पहाडिय़ों का पानी एकत्रित करने के लिए टैंक, गार्डन, स्मृति वन बनाया जाना है। नीम, गुलमोहर, अमलताश, शीशम, बोगन वेलिया और अन्य छायादार पौधे लगाए गए हैं। इसमें बटर फ्लाई पार्क, पक्षियों के प्राकृतिक आवास भी विकसित किए जाने चाहिए।
-अजमेर-पुष्कर, नरवर, किशनगढ़, तिलोनिया, टॉडगढ़-रावली और अन्य क्षेत्रों को जोडकऱ टूरिज्म सर्किट बनाया जा सकता है। इनमें पर्यटकों के रुकने के लिए हेरीटेज होटल, राजस्थानी संस्कृति-संगीत, झील-तालाब में नौकायन, बोट हाउस सुविधा विकसित होने पर पर्यटन को बल मिलेगा।
Published on:
09 Jan 2019 08:14 am
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