
vice chancellor salary
अजमेर.
कुलपति को वेतन-भत्ते देने को लेकर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय असमंजस में है। राजस्थान हाईकोर्ट ने उनके कामकाज पर रोक लगाई है। उनका वेतन कौन जारी करेगा, इसको लेकर पेंच फंसा हुआ है। राजभवन ने भी विश्वविद्यालय को अपने स्तर पर फैसला लेने को कहा है।
लक्ष्मीनारायण बैरवा की जनहित याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग की खंडपीठ ने बीते साल 11 अक्टूबर को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह को नोटिस जारी कर कामकाज पर रोक लगाई थी। यह रोक अब तक जारी है। इस दौरान कुलपति को वेतन-भत्ते भी नहीं मिल पाए हैं।
कैसे बनेगी मासिक पगार?
कुलपति प्रो. सिंह की नियुक्ति 6 अक्टूबर को हुई थी। उन्होंने विश्वविद्यालय में महज पांच दिन (6 से 10 अक्टूबर) तक ही कामकाज किया। 11 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने उनके कामकाज करने पर रोक लगाई थी। यह अब तक जारी है। नियमानुसार बिना कामकाज के कुलपति का वेतन बनना मुश्किल है। हालांकि विश्वविद्यालय में अधिकारियों, शिक्षकों, कार्मिकों की तरह कुलपति बायोमेट्रिक अथवा रजिस्टर में हाजिरी लगाने के लिए बाध्य नहीं है।
कौन जारी करेगा वेतन
नियमानुसार कुलपति ही विश्वविद्यालय में सर्वोच्च अधिकारी होते हैं। उनकी मंजूरी से ही विश्वविद्यालय में वित्त, प्रशासनिक और शैक्षिक कामकाज होते हैं। कुलपति का वेतन कौन जारी करे इसको लेकर पेंच फंस गया है। प्रशासन ने इस बारे में राजभवन से मार्गदर्शन मांगा था। लेकिन वहां से विश्वविद्यालय स्तर पर निर्णय लेने का प्रत्युत्तर भेज दिया गया। उधर कुलपति ने पांच महीने का वेतन जारी करने को कहा है।
यह होती है कुलपति की पगार-सुविधाएं
राज्य अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर पद पर कार्यरत शिक्षाविदें को कुलपति नियुक्त किया जाता है। राज्य के विश्वविद्यालय में कुलपतियों का मासिक वेतन 70 हजार रुपए है। इसके अलावा उन्हें 5 हजार रुपए विशेष भत्ते के रूप में मिलते हैं। विश्वविद्यालय स्तर पर उन्हें आवास, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, वाहन और अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
मामला अदालत में है। वेतन जारी करने को कहा था, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
प्रो. आर. पी. सिंह, कुलपति मदस विश्वविद्यालय
Published on:
10 Mar 2019 02:15 pm
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