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दर-दर भटकने को मजबूर कोरोना वॉरियर्स की पत्नी

- इप्सेफ ने देशभर में दी गई कोरोना वॉरियर्स को श्रद्धांजलि, सरकारी घोषणाओं के बाद भी ठोकरें खाने की मजबूरी सरकार नेे भी कोरोना वॉरियर्स के लिए कई प्रकार की घोषणाएं की गई और आमजन में भी कोरोना वॉरियर्स परिवार के लिए सद्भाव देखा गया है, लेकिन यदि हकीकत में देखा जाए और कोरोना वॉरियर्स के परिवार से मिलकर वास्तविक स्थिति को जाना जाए तो यह सभी कार्यक्रम और सम्मान दिखावा जान पड़ता है। आज कोरोना से शहीद हुए कर्मचारियों के परिवार दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं, उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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अजमेर

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Dilip Sharma

Jun 01, 2021

दर-दर भटकने को मजबूर कोरोना वॉरियर्स की पत्नी

दर-दर भटकने को मजबूर कोरोना वॉरियर्स की पत्नी

बाड़ी. सोमवार को इंडियन पब्लिक सर्विस एम्पलाइज फेडरेशन (इप्सेफ) की ओर से पूरे देश में कोरोना से शहीद हुए कर्मचारियों को श्रद्धांजलि दी गई। जिसमें फेडरेशन से जुड़े हुए सभी कर्मचारियों ने श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया। सरकार नेे भी कोरोना वॉरियर्स के लिए कई प्रकार की घोषणाएं की गई और आमजन में भी कोरोना वॉरियर्स परिवार के लिए सद्भाव देखा गया है, लेकिन यदि हकीकत में देखा जाए और कोरोना वॉरियर्स के परिवार से मिलकर वास्तविक स्थिति को जाना जाए तो यह सभी कार्यक्रम और सम्मान दिखावा जान पड़ता है। आज कोरोना से शहीद हुए कर्मचारियों के परिवार दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं, उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

यह है मामला
बाड़ी कस्बे के हथियापोर मोहल्ला निवासी एक कोरोना वॉरियर्स परिवार से जब मामले की हकीकत जानी गई तो स्वर्गीय देवेंद्र पाराशर की पत्नी सुमन शर्मा ने बताया की उनके पति देवेंद्र पाराशर जिला चिकित्सालय धौलपुर में एसटीआई काउंसलर पद पर 12 वर्षों से संविदाकर्मी के रूप में तैनात थे। उनकी ड्यूटी पीएमओ ने कोविड-19 में लगाई गई थी। इस दौरान वे संक्रमित हुए। उपचार के दौरान 23 नवंबर 2020 को उनका निधन हो गया। निधन के बाद पीडि़त परिवार को सांत्वना देने और घोषित राशि की उपलब्धता के लिए पीएमओ धौलपुर द्वारा क्लेम की फाइल भी निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर को भेजी जा चुकी है, लेकिन पांच महीने बाद भी अभी तक कोई भी सरकारी सहायता नहीं मिली है, ना ही पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति पर लगाया गया है।

पत्नी सुमन शर्मा का कहना है कि वह अपने परिवार को जैसे तैसे पाल पोस रही है। उसे संकटोंं का सामना करना पड़ रहा है, वह जयपुर जाकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन फाइल दिल्ली जाने की बात कह कर उसे लौटा दिया जाता है। सुमन ने सरकार से क्लेम की राशि के साथ अनुकंपा नियुक्ति दिलाई जाए, जिससे वह अपने बच्चों का पालन पोषण कर सकें। वास्तव में सच्ची श्रद्धांजलि तो तब ही मानी जाएगी, जो कोरोना वॉरियर्स के परिवार सदमे की स्थिति से उबर सकें।


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