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एएमयू में औरंगजेब को न्यायप्रिय राजा बताया गया

locationअलीगढ़Published: Aug 14, 2018 07:02:06 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित रजर्स विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई इतिहास विभाग में अस्टिेंट प्रोफेसर डॉ. आडरे ट्रश्की ने दिया व्याख्या, सभी ने सराहा

Aurangzeb

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अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अंर्तगत सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी के अंतर्गत दो दिवसीय व्याख्यान आयोजित की गई है। इसके प्रथम चरण में अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित रजर्स विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई इतिहास विभाग में अस्टिेंट प्रोफेसर डॉ. आडरे ट्रश्की ने “औरंगज़ेब आलमगीरः न्याय, सत्ता तथा मुग़ल इतिहास की व्याख्या में घृणा की भूमिका“ विषय पर व्याख्यान दिया। व्याख्यान में औरंगजे़ब की नीतियों एवं उस काल की परिस्थितियों पर प्रकाश डाला। उन्हें न्यायप्रिय राजा बताया गया। इसके विपरीत हिन्दूवादी कहते हैं कि औरंगजेब ने हिन्दुओं का कत्लेआम किया और मंदिर तोड़े।
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संस्कृत में फरमान जारी किए

डा0 आडरे ने ईलियट तथा डॉसन की पुस्तक ‘भारत का इतिहास, स्वयं इसके इतिहासविदों की दृष्टि में का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें उपनिवेशवादी व्याख्या की गई है। इसमें मुगल राजाओं का नकारात्मक चित्रण किया गया है। इसके संदर्भ में सम्राट औरंगजेब की नीतियों तथा उसके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुगल राजाओं, विशेषकर सम्राट औरंगजेब अति न्यायप्रिय राजा थे। संस्कृत लिपि में उपलब्ध ‘ईश्वरदासा’ तथा औरंगजे़ब के कई फरमान जनसाधारण के अध्ययन के लिए उपलब्ध हैं। इनमें बनारस के अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वह मंदिरों की व्यवस्था से छेड़छाड़ न करें।
धर्म एवं राजनीति में द्वंद होने पर सत्ता का चयन किया

डॉ. आडरे ने कहा कि सम्राट औरंगजेब के चित्रण में पक्षपाती स्रोतों का प्रयोग किया गया है। सच यह है कि जब भी धर्म एवं राजनीति में द्वंद की स्थिति उत्पन्न हुई, औरंगजेब ने सदैव सत्ता का चयन किया। उन्होंने कहा कि मुगल साम्राज्य का ऐतिहासिक विश्लेषण सदैव आर्थिक अथवा व्यक्तित्ववादी आधारों पर किया गया है, जबकि इस संपूर्ण काल के न्यायोचित अध्ययन के लिए अन्य पहलुओं को भी दृष्टिगत रखा जाना चाहिये।
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डॉ आडरे से सबक लें

डॉ. आडरे ने भूतकाल के वर्णन में वर्तमान की परिस्थितियों को उदाहरण बनाने की प्रवृत्ति के विरुद्ध सावधान किया। उन्होंने कहा कि इतिहासविदों को व्यक्तिगत विचारों एवं मतभेदों को दरकिनार रखते हुए इतिहास का अध्ययन करना चाहिये। कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रोफेसर शींरी मूसवी ने मुगलकाल, विशेषकर औरंगजेब के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने पर डॉ. आडरे के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमें डॉ आडरे से सबक लेना चाहिये।
ऐतिहासिक घटनाक्रम को वास्तविक परिवेशों में सामने लाएं

इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अली नदीम रजाबी ने मध्यकालीन इतिहास के विभिन्न लोकप्रिय घटनाक्रम से संबंधित वास्तविकता की प्रस्तुति के लिए डा0 आडरे को सराहा। उन्होंने कहा कि इतिहासविदों तथा इतिहास के छात्र-छात्राओं को व्यक्तिगत पसंद नापंसद को मापदण्ड न बनाकर ऐतिहासिक घटनाक्रम को वास्तविक परिवेशों में सामने लाने का प्रयत्न करना चाहिए।
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