
अलीगढ़। कश्मीर में आतंकियों ने शनिवार तड़के एक बार फिर सेना के कैंप पर हमला कर दिया। भारतीय सेना आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। वहीं, मौत के साये से पीछा छुड़ाकर कश्मीर से अलीगढ़ आया एक परिवार आतंकी दहशत से तो बच गया, लेकिन अब वो भूखमरी से जूझ रहा है। खुले आसमान के नीचे गुजर-बसर करने से परिवार के छोटे बच्चे व लड़कियां बीमार हो गए हैं। वहीं सूचना मिलने पर अलीगढ़ पुलिस व प्रशासनिक अमला भी सक्रिय हो गया और खुफिया इकाई ने परिवार का पूरा ब्यौरा जुटाया है।
एक महीने पहले आए थे आगरा
कश्मीर छोड़कर अपने परिवार के साथ आए मोहम्मद सफी ने बताया कि सरहद पर आंतकियों व सुरक्षाबलों के बीच आए दिन मुठभेड़ होती रहती है। ऐसे में तमाम लोग अपने ही घरों में कैद होकर रह जाते हैं। पेट की आग बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। गोलाबारी बढ़ने पर कई बार पलायन की नौबत आ जाती है। पीड़ितों ने बताया कि करीब एक माह पहले मामा गुलफाम हसन के साथ 16 लोग बारामूला छोड़कर आगरा आ गए थे, ताकि बर्फबारी बंद होने तक यहां मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पेट पाल सकें। आगरा में जामा मस्जिद के अंदर ही स्थित छोटी दरगाह के पास सिर छुपाने का ठिकाना मिला, मगर बीमारी व इलाज न मिलने से मामा का इंतकाल हो गया। मामा को वहीं दफना दिया। रोजी-रोटी का प्रबंधन न होने पर आठ दिन पहले अलीगढ़ आ गए।
खुले आसमान के नीचे रहने का मजबूर
बारामूला से आया ये परिवार इन दिनों अलीगढ़ के घंटाघर के पास एक चर्च में खुले आसमान के नीचे जीवन यापन कर रहा है। सर्दी में छोटे बच्चे व वृद्धों की हालत खराब हो गई है। मोहम्मद सफी की मां शमां व बीवी परवीन बेगम समेत कई लोग बीमार हैं। काम न मिलने पर भीख मांगकर गुजारा करने को मजबूर हैं। कुछ लोग उनकी हालत पर तरस खाकर कंबल, चावल, आटा व अन्य सामान दे गए हैं।
प्रशासन ने जुटाया परिवार का ब्यौरा
उधर, सूचना मिलने के बाद पुलिस प्रशासन व एलआईयू की टीम भी सक्रिय हो गई है। और पूरे परिवार का ब्यौरा जुटाया है। एसएसपी राजेश कुमार पांडे के अनुसार कश्मीर से आये परिवार का वेरिफिकेशन किया जा रहा है। बारामुला में किस जगह रहने वाले है, इस बात की भी जांच कराई जा रही है। एसएसपी ने बताया कि कंबल, शाल, दरी बेचने के लिए कश्मीर से कई लोग आते हैं। देखना यह है कि किन हालातों में ये लोग यहां रुके हैं।
Published on:
10 Feb 2018 02:41 pm
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