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मृतक दिखा कर वोटर लिस्ट से काटे नाम, पोल खुली तो बैक डेट में भेज रहे नोटिस

कर्मचारी खुद को फंसता देख हजारों की संख्या में बैक डेट में फर्जी तरीके से नोटिस तामील कराने की कार्रवाई कर रहे हैं।

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एटा। मतदाता सूची में जीवित लोगों को भी मृतक दर्शाकर वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़ा कर 20 हजार से ज्यादा लोगों के नाम काटने के मामले में जिला प्रशासन अपने मातहतों को बचाने में जुट गया है। रविवार को भले ही छुट्टी रही लेकिन अलीगंज तहसील गुपचुप तरीके से खुली और छुट्टी के दिन रविवार को भी आरआई, रजिस्टार कानूनगो, अमीन और लेखपाल अपने को फंसता देख हजारों की संख्या में बैक डेट में फर्जी तरीके से नोटिस तामील कराने की कार्रवाई करते नजर आये।

लापरवाही छिपाने की जा रही कोशिश

कर्मचारी अब यह सिद्ध करान चाहते हैं कि जिन लोगों को मृत दशर्या गया है या जिनके नाम कटे हैं उन्हें नोटिस दिया गया था लेकिन नोटिस का जवाब नहीं आया। इसके लिए तहसील क्रर्मी बैक डेट में नोटिस तामील करने की कार्रवाई कर अपने को बचाने की जुगत में लगे रहे लेकिन तहसील में चल रहे फर्जीवाड़े का यह सच मीडिया के कैमरे में कैद हो गया और तहसील में मौजूद कर्मचारी कैमरे से बचते हुए खिसकने लगे।

20,668 मतदाताओं के नाम गायब
बात दें कि बीजेपी विधायक ने साजिश के तहत वोटर लिस्ट में घपला करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अलीगंज विधानसभा में 20,668 मतदाताओं को मृत दर्शाने या फिर नाम काटे जाने के पीछे पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव की साजिश है। जिसमें तहसील प्रशासन की भी मिलीभगत है। शिकायत के बाद पीड़ित लोगों को सुनवाई नहीं हुई। विधायक ने कहा कि अगर मामले में दोषियों पर एफआईआर और निलंबन की कार्रवाई नहीं की गई तो वो इन लोगों के साथ 19 मार्च से कलेक्ट्रेट पर धरने पर बैठ जाएंगे।


सैकड़ों लोगों ने किया प्रदर्शन
बीजेपी विधायक सत्यपाल सिंह राठौर के नेतृत्व में जिलाधिकारी आवास के बाहर पहुंच कर सैकड़ों लोगों ने जमकर नारेबाजी भी की छी। ये वो लोग हैं, जिन्हें वोटर लिस्ट में या तो मृत दिखा दिया गया है या फिर उनके नाम काट दिये गये हैं। ऐसे एक नाम नहीं बल्कि हजारों की संख्या में ऐसे मतदाताओं को मृत दिखाया गया, जो जीवित हैं। प्रशासन की लापरवाही के चलते अब इन्हें अपने जीवित होने के प्रमाण पत्र के साथ प्रदर्शन करना पड़ रहा है।